साउथ फिल्म इंडस्ट्री से क्यों पीछे है बंगाली सिनेमा? Dil Toh Baccha Hai Ji एक्ट्रेस ने बताई बड़ी वजह
/file/upload/2025/11/8201188575308618110.webpरितुपर्णा सेनगुप्ता की ये हैं अपकमिंग फिल्में
दीपेश पांडे, मुंबई। बांग्ला सिनेमा से अपना अभिनय सफर शुरू करने वाली अभिनेत्री रितुपर्णा सेनगुप्ता ने मैं मेरी पत्नी और वो, दिल तो बच्चा है जी, बम बम बोले तथा यू मी और हम जैसी कई हिंदी फिल्मों में भी काम किया है। पिछले काफी समय से हिंदी फिल्मों से दूरी के बाद उन्होंने हालिया प्रदर्शित फिल्म काल त्रिघोरी से हिंदी फिल्मों में वापसी की और अब उनका इरादा लगातार हिंदी फिल्में करने का है। आगामी दिनों में उनकी कई हिंदी फिल्में रिलीज की कतार में हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रितुपर्णा सेनगुप्ता की अपकमिंग फिल्में
जागरण फिल्म फेस्टिवल में उनसे हुई बातचीत में रितुपर्णा कहती हैं, ‘मेरी कुछ हिंदी फिल्में रिलीज होते-होते रह गईं थीं। उसके बाद दो-तीन साल तो कोरोना में चले गए। उस बीच मैंने अनुराग कश्यप के साथ हिंदी फिल्म बांसुरी की थी। वह बहुत छोटे स्तर पर रिलीज हुई थी, शायद निर्माता उसे फिर से रिलीज करें।’ रितुपर्णा कहती हैं, ‘मेरी कई हिंदी फिल्में रिलीज होने की कतार में हैं। जिनमें से अगली फिल्म होगी इत्तर। वीना बक्शी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में मेरे साथ दीपक तिजोरी हैं। यह दो उम्रदराज लोगों की दिलचस्प प्रेम कहानी है। उसके बाद एक नवोदित निर्देशक के निर्देशन में बनी फिल्म नमकीन है। इसमें मेरे साथ चंदन राय सान्याल अहम भूमिका में हैं।
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पूरब कोहली (अभिनेता) के साथ भी मैंने एक फिल्म की है, जिसका नाम है तेरे आने से। इसके अलावा रोहित राय और शहबाज खान (अभिनेता) के साथ मैंने जिहाद नामक फिल्म भी की है। आमतौर पर हम जिहाद का जो अर्थ निकालते हैं, फिल्म का विषय उससे काफी अलग है। रेवती जी (अभिनेत्री और फिल्ममेकर) के साथ भी मैंने एक फिल्म की है, जिसका नाम है गुड मार्निंग सनशाइन। इन सभी फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है।’
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साउथ सिनेमा ने कैसे दुनियाभर में बनाई अपनी पहचान
पैन इंडिया फिल्मों के इस दौर में दक्षिण भारतीय फिल्मों की तुलना में बांग्ला सिनेमा की पहुंच के मामले में रितुपर्णा कहती हैं, ‘आज के दौर में दक्षिण भारतीय सिनेमा बहुत ही मजबूत इंडस्ट्री के तौर पर आगे बढ़ रहा है। वहां के लोग अपनी भाषा और सितारों को बहुत प्यार देते हैं। दर्शकों में अपनी भाषा के प्रति समर्पण देखा जाता है। बंगाल में लोग बहुत उदारवादी हैं, वे हर संस्कृति, भाषा को अपनाते हैं। शायद इसीलिए दक्षिण भारतीय फिल्मों की तुलना में बांग्ला फिल्मों की पहुंच कम दिख रही है। हालांकि बांग्ला फिल्मों ने हमेशा दुनिया को प्रभावित किया है।’
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