फैक्ट्री के कमरे में आग जलाकर सोए 4 मजदूरों की मौत, पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सबको चौंकाया
/file/upload/2025/11/1708527280360124223.webpजागरण संवाददाता, कानपुर। पनकी में निर्माणाधीन फैक्ट्री परिसर के कमरे में आग जलाकर सोए चार मजदूर गुरुवार सुबह मृत मिले। साथी उन्हें जगाने पहुंचे तब घटना की जानकारी हुई। आठ गुणा आठ फीट के कमरे में दो खिड़कियां और दरवाजे थे, लेकिन सर्दी से बचने के लिए मजदूरों ने सभी बंद कर रखे थे। दरवाजे के नीचे की खुली जगह पर भी कपड़ा लगा दिया था। हालांकि दरवाजे पर कुंडी नहीं लगी थी। पुलिस आयुक्त रघुबीर लाल के अनुसार माना जा रहा है कि आग और धुएं की वजह से कमरे में कार्बन मोनो आक्साइड गैस भर गई और दम घुटने से चारों की मौत हुई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दम घुटने से मौत की बात सामने आई है। और कारण स्पष्ट करने के लिए विसरा सुरक्षित किया गया है। पनकी औद्योगिक क्षेत्र में गोविंदनगर निवासी वरुण कटारिया की आयल सीड्स कंपनी कटारिया एडिबल्स एलएलपी की फैक्ट्री का निर्माण चल रहा है। इसे इंदौर की आदित्य इंटरप्राइजेज कंपनी बना रही है।
सो रहे थे मजदूर
निर्माण कार्य में लगे ज्यादातर मजदूर बलिया व देवरिया के रहने वाले हैं। कंपनी में काम करने वाले तीन लोग गुरुवार सुबह लगभग साढ़े आठ बजे परिसर में बने कमरे में सो रहे देवरिया के तरकुलवा के तौकलपुर निवासी 32 वर्षीय अमित बरनवाल, 22 वर्षीय संजू सिंह, 23 वर्षीय राहुल सिंह, 28 वर्षीय दाऊद अंसारी को बुलाने पहुंचे। दरवाजा खटखटाने पर अंदर से किसी की आवाज नहीं आई, लेकिन धक्का देने पर वह खुल गया।
कमरे की दीवार के पास तसले में कोयला सुलग रहा था और चारों मजदूर फर्श पर लेटे मिले। साथियों ने उन्हें जगाया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। सभी लोग फेब्रिकेटर (वेल्डिंग-फिटिंग) का काम करते थे। फैक्ट्री मालिक वरुण कटारिया के भाई व साझेदार तरुण कटारिया ने बताया कि ब्यायलर की टेस्टिंग के लिए कोयला आया था, जिसे सुलगाकर ये लोग कमरे में सो रहे थे। आग और धुआं से खत्म हो जाती है आक्सीजनमुरारी लाल चेस्ट अस्पताल के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. संजय वर्मा ने बताया कि कमरे में आक्सीजन खत्म होना दम घुटने का मुख्य कारण बनता है।
कैसे मनती है कार्बन मोनोआक्साइड गैस?
अंगीठी, गैस हीटर या गैस गीजर जैसे स्रोतों से बंद कमरे में धुआं होता है तो कार्बन मोनोआक्साइड गैस बनती है, जो आक्सीजन को खत्म कर देती है। यह मौत का कारण बन सकती है। थोड़ी मात्रा में भी धुआं खतरनाक हो सकता है, खासकर जब कमरा हवादार न हो। कितने धुएं से कमरे की आक्सीजन खत्म होगी, यह कमरे के आकार और वेंटिलेशन पर निर्भर करता है।
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