मंडी: चिंता का सबब बन रहा भाखड़ा बांध, सहन नहीं कर पा रहा पानी का दबाव; रिपेयर प्रोजेक्ट भी लटका
/file/upload/2025/11/4934348657150048997.webpचिंता का विषय बनने लगा भाखड़ा बांध (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, मंडी। भाखड़ा बांध सरकार और आमजन की चिंता का विषय बनने लगा है। यह बांध कुछ वर्ष से पानी का अधिक दबाव सहन नहीं कर पा रहा है। बांध के झुकाव (विक्षेप) के आंकड़े बार-बार मूल डिजाइन सीमा को पार करते दिखाई दे रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस वर्ष भी बांध का झुकाव 1.1408 इंच तक दर्ज हुआ जो 1.03 इंच की निर्धारित गैर-भूकंपीय सीमा से अधिक है। हालांकि यह झुकाव वर्ष 2019 में दर्ज 1.1476 इंच के झुकाव से थोड़ा कम है लेकिन लगातार सीमा पार करना तकनीकी विशेषज्ञों और प्रबंधन दोनों के लिए चिंतनीय है।
जब भी बांध पर पानी का दबाव बढ़ता है, झुकाव में वृद्धि देखी जाती है। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) ने इस बार भी बांध के जलस्तर को कम कर स्थिति को नियंत्रित करने का निर्णय लिया है।
पानी का स्तर घटने पर बांध पुनः अपनी मूल स्थिति में लौट आता है। लगातार आ रही इस समस्या को देखते हुए माना जा रहा है कि भविष्य में बीबीएमबी बांध का जलस्तर 1,680 फीट से नीचे रखने का निर्णय ले सकता है ताकि अधिक जल दबाव से संरचना पर पड़ने वाला तनाव कम किया जा सके।
बांध के लिए वर्ष 1964 में तैयार की गई मूल डिजाइन गणनाओं में गैर-भूकंपीय परिस्थितियों में अधिकतम अनुमेय विक्षेप 1.03 इंच और भूकंपीय परिस्थितियों में 1.53 इंच निर्धारित किया था।
इसके बावजूद वर्षों से लगाए गए निगरानी उपकरणों के रिकार्ड दर्शाते हैं कि कई मौकों पर झुकाव 1.03 इंच से अधिक दर्ज हुआ है। बीबीएमबी इसे जलस्तर में अचानक वृद्धि से पैदा होने वाली स्वाभाविक प्रतिक्रिया बता रहा है लेकिन बार-बार सीमा से अधिक झुकाव निगरानी तंत्र को और मजबूत बनाना समय की मांग है।
बांध की सुरक्षा व मजबूती को लेकर शुरू की गई पुनर्वास एवं सुधार परियोजना को भी आवश्यक गति नहीं मिल पाई है। केंद्रीय जल आयोग ने वर्ष 2012 में इस योजना को देशभर में बांधों के आधुनिकीकरण और बेहतर प्रबंधन के उद्देश्य से प्रारंभ किया था।
लेकिन बीबीएमबी के भागीदारी राज्यों द्वारा मरम्मत कार्यों पर पर्याप्त धन खर्च न करने के कारण परियोजना अभी अधर में है। इससे समय-समय पर आवश्यक सुधार न हो पाने से जोखिम बढ़ रहा है।
उधर, बीएसएल प्रोजेक्ट का 990 मेगावाट क्षमता वाला डैहर पावर हाउस भी लंबे समय से मरम्मत की प्रतीक्षा में है। यहां छह में से तीन टरबाइन मरम्मत की राह देख रही हैं।
ब्यास नदी में बढ़ती गाद परियोजना के लिए गंभीर चुनौती बन चुकी है, जिसका स्थायी समाधान तैयार करने में बीबीएमबी अब तक विफल रहा है। बरसात के दौरान जलस्तर बढ़ने के साथ ही बांध पर दबाव भी बढ़ता है। ऐसे में यदि झुकाव लगातार सीमा पार करता रहा तो यह भविष्य में बड़ी समस्या का कारण बन सकता है।
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