Chikheang Publish time 2025-11-21 03:07:35

क्या प्रदूषकों के आंकड़ों में है गड़बड़ी? IITM पुणे के डिसीजन सपोर्ट सिस्टम से भी नहीं मिल रही सटीक जानकारी

/file/upload/2025/11/4352658811873397651.webp



संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। इस समय दिल्ली के प्रदूषण में प्रदूषकों की हिस्सेदारी जानने का एक ही माध्यम है आईआईटीएम पुणे का डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस), लेकिन प्रदूषण के इस चरम सीजन में भी यह सिस्टम दगा देता नजर आ रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

आलम यह है कि डीएसएस पर पूर्वानुमान तक सही साबित नहीं हो रहे हैं। बीते साल भी इस सिस्टम पर विवाद हुआ था। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) इसके पूरी तरह से अपग्रेड नहीं होने तक इसके डेटा को मानने से इनकार कर दिया था।

हाल के दिनों में डीएसएस पूर्वानुमान में राजधानी में पराली प्रदूषण की हिस्सेदारी को बढ़ा चढ़ाकर दिखाया गया जबकि हकीकत में सिर्फ एक ही दिन 12 नवंबर को पराली का प्रदूषण 22.47 प्रतिशत रहा था।

छह नवंबर को 38, आठ नवंबर को 25 और नौ नवंबर को 31 प्रतिशत हिस्सेदारी रहने का पूर्वानुमान दिया गया लेकिन इन सभी दिन पराली की प्रदूषण में हिस्सेदारी 15 प्रतिशत से भी कम रही। वास्तविकता यह भी है कि दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 10 से 11 माह शून्य रहती है और सर्दियों के एक डेढ़ माह में भी औसत रूप से दो तीन प्रतिशत से अधिक नहीं रहती।

डीएसएस में कमोबेश ऐसी ही स्थिति वाहनों के धुएं से होने वाले प्रदूषण की है। पूर्वानुमान दिया जाता कुछ और अगले दिन डेटा सामने आता है कुछ। इनके साथ-साथ अन्य प्रदूषक तत्वों की हिस्सेदारी के आंकड़े में भी दिन बदलने पर कुछ ज्यादा बदलाव देखने को नहीं मिलता।

यह भी पढ़ें- आखिर घर के अंदर प्रदूषण से कैसे बचें ? मकानों के डिजाइन और तकनीक के प्रयोग की एक्सपर्ट ने की वकालत

डीएसएस केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन काम करता है और इस सिस्टम का संचालन आईआईटीएम पुणे करता है। अधिकारी के अनुसार इस साल पराली जलाने के पैटर्न में पिछले साल की तुलना में काफी बदलाव रहा है। इसी वजह से सिस्टम के माडल प्रोजेक्शन में गड़बड़ी आ रही है।

इन्हीं सब कारणों से सीएक्यूएम ने बीते साल डीएसएस सिस्टम को अस्थाई तौर के लिए रोक दिया था और निर्देश दिए थे कि वह अपनी सटीकता सुधारने के लिए कुछ बदलाव करे। 2024 में डीएसएस के आंकड़े 29 नवंबर तक ही मिले थे।

इसके बाद यह सिस्टम 10 दिन बंद रहकर नौ दिसंबर को दोबारा से शुरू किया गया। हालांकि इस सीजन में सीएक्यूएम ने डीएसएस के काम करने पर अभी तक कोई निर्देश नहीं दिए हैं।

यह भी पढ़ें- Delhi Pollution: दिल्ली की हवा हुई जहरीली, वायु गुणवत्ता \“गंभीर\“ श्रेणी के करीब, 18 इलाकों का AQI 400 के पार
Pages: [1]
View full version: क्या प्रदूषकों के आंकड़ों में है गड़बड़ी? IITM पुणे के डिसीजन सपोर्ट सिस्टम से भी नहीं मिल रही सटीक जानकारी