cy520520 Publish time 2025-11-21 02:37:15

देहरादून के जनजातीय क्षेत्र जौनसार में बूढ़ी दिवाली का शुभारंभ, लकड़ी की मशालें बनाकर मनाया जश्न

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चकराता तहसील के ठाणा गांव में बूढ़ी दिवाली के पहले दिन मशाल लेकर होलियात निकाल कर जश्न मनाते ग्रामीण। जागरण



संवाद सूत्र, जागरण, चकराता : जनजातीय क्षेत्र जौनसार में गुरुवार से पांच दिवसीय बूढ़ी दिवाली का आगाज हो गया है। देवदार व भीमल की लकड़ी से बनी मशालें (होले) जलाकर पर्व का जश्न शुरू हुआ।

गुरुवार ब्रह्म मुहूर्त में ढोल दमऊं की थाप पर इष्ट देव की आराधना के बाद देवता के नाम की हाथों में मशालें जलाए हुए ग्रामीणों ने गांवों के पंचायती आंगन में दिवाली की शुरुआत की। पंचायती आंगन लोकगीत व लोक नृत्य से गुलजार हो गए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

बता दें कि जौनसार में बूढ़ी दिवाली की शुरुआत मुख्य दीपावली के एक महीने बाद होती है और यह उत्सव पांच दिनों तक चलता है। इसकी शुरुआत गुरुवार सुबह छोटी होलियात से हुई। ग्रामीणों ने मशालें जलाकर पारंपरिक लोक गीतों के साथ नृत्य करते हुए उत्सव को इको-फ्रेंडली तरीके से मनाया।

गुरुवार को चकराता तहसील के खत उपलगांव, खत शैली, खत बमठाड, खत द्वार के सैकड़ों गांवों में बूढ़ी दिवाली का जश्न दिखाई दिया।

गुरुवार सुबह ब्रह्म मुहूर्त के समय चकराता तहसील के खत उपलगांव के ठाणा गांव में पांच दिवसीय दिवाली का आगाज हो गया। छोटी होलियात में होले (मशालें) जलाकर बूढ़ी दिवाली की शुरुआत हुई। इस दौरान गांव के लोग ढोल दमऊ की थाप पर पंचायती आंगन पंहुचे।

इष्ट देवता आराधना के बाद दीपावली के पारंपरिक लोकगीत गाते हुए पारंपरिक नृत्य किया। देवता से क्षेत्र की खुशहाली की कामना की।

ठाणा निवासी सालक राम जोशी ने बताया कि यह दीपावली जौनसार बावर में परंपरागत तरीके से मनाई जा रही है। पांच दिन मनाए जाने वाली दीपावली का अपना हर एक दिन का अलग-अलग महत्व है।

बूढ़ी दिवाली में प्रत्येक परिवार में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए गए। सर्वप्रथम घर में बने विभिन्न प्रकार के व्यंजनों को अपने इष्ट देवता को भोग लगाया गया। साथ ही गांव के पंचायती आंगन में गांव के मुखिया द्वारा अखरोट बिखेरने से पहले इष्ट देवता को अखरोट का भोग लगाया जाता है।

पंचायती आंगन में महिलाओं और पुरुषों को गांव के मुखिया द्वारा अखरोट प्रसाद रूप में बांटे जाते हैं। सभी लोग इसे अपने इष्ट देवता का प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। इस बीच जंदोई के दिन महिला द्वारा पारंपरिक नृत्य किया जाता है।

समापन वाले दिन कहीं काठ का हाथी या काठ का हिरण बनाया जाता है। जिसके ऊपर गांव का स्याणा बिठाया जाता है और वह दोनों हाथों में तलवार लेकर नृत्य करता है। बीच-बीच में हास्य नाटकों का मंचन भी किया जाता है।

इस मौके पर वीरेंद्र जोशी, अर्जुन दत्त जोशी, सालक राम जोशी, श्रीचंद जोशी, मायादत्त जोशी, सुन्दरदत्त जोशी, सुभाराम जोशी, जयपाल जोशी, रतन चौहान, शमशेर चौहान, अजबीर चौहान,पीयूष जोशी, सूर्य प्रताप सिंह चौहान आदि मौजूद रहे।

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