TCS के बाद अब TATA डिजिटल में हो सकती है 50% से ज्यादा लोगों की छंटनी, सदमे में कर्मचारी
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नई दिल्ली। टाटा डिजिटल कुछ स्ट्रैटेजिकल बदलाव करने जा रही है। ये बड़े बदलाव नए CEO सजित शिवनंदन के कार्यकाल में पहली बार लागू किए जाएंगे, जो ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू (GMV) पर आधारित ग्रोथ मॉडल से हटकर ग्रुप-लेवल इंटीग्रेशन की ओर एक बड़ा कदम होंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शिवनंदन, जो पहले जियो मोबाइल डिजिटल सर्विसेज के प्रेसिडेंट थे, ने इस साल सितंबर में पदभार संभाला, और 2019 में लॉन्च होने के बाद से कंपनी के तीसरे CEO बन गए। रिपोर्ट्स के अनुसार इन बदलावों के तहत टाटा ग्रुप अपने सुपर ऐप, टाटा न्यू में ऑपरेशन को आसान बनाने के लिए 50% से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी कर सकता है।
तैयार किया जा रहा रोडमैप
टाटा ग्रुप ने पहले ही टाइटन, IHCL, टाटा मोटर्स और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स से डिजिटल मार्केटिंग मैंडेट्स को सेंट्रलाइज करना शुरू कर दिया है। वहीं बिगबास्केट और क्रोमा में स्ट्रेटेजिक रिव्यू चल रहे हैं, जिसमें शिवनंदन दोनों टीमों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि काम को पूरा करने के लिए साफ रोडमैप तय किए जा सकें।
डिलीवरी का समय हो रहा कम
बिगबास्केट के लिए, सबसे पहली प्राथमिकता BB Now है, जो इसकी एक्सप्रेस ग्रोसरी ब्रांच है। यहाँ इसका मुकाबला ब्लिंकिट, जेप्टो और स्विगी इंस्टामार्ट से है, ये ऐसे प्लेटफॉर्म हैं जो तेजी से बढ़े हैं और मेट्रो शहरों में स्थिति मजबूत कर चुके हैं।
क्विक-कॉमर्स सेगमेंट में डिलीवरी का समय कम होता जा रहा है, जिससे बिगबास्केट जैसी पुरानी कंपनियां अपने BB Now ऑपरेशन को और बेहतर बना रही हैं और साथ ही अपनी फुल-स्टैक ग्रोसरी सप्लाई चेन का भी फायदा उठा रही हैं।
सीनियर लेवल पर बदलाव
साल 2021 से ही टाटा ग्रुप ने बार-बार अपना तरीका बदला है और सीनियर लेवल पर बदलाव किए हैं क्योंकि यह टाटा न्यू को स्टेबल करने की कोशिश कर रहा है, जिसे अप्रैल 2022 में एक यूनिफाइड कंज्यूमर सुपर-ऐप के तौर पर लॉन्च किया गया था। शिवनंदन का अपॉइंटमेंट इस साल की शुरुआत में नवीन तहिलयानी के जाने के बाद किया गया।
ऑपरेटिंग रेवेन्यू में गिरावट
FY25 में टाटा डिजिटल का ऑपरेटिंग रेवेन्यू 13.8% की गिरावट के साथ 32,188 करोड़ रुपये रहा, जबकि नेट लॉस FY24 में 1,201 करोड़ रुपये से घटकर 828 करोड़ रुपये रह गया। नई लीडरशिप टीम के सामने अब परफॉर्मेंस सुधारने और न्यू को ज्यादा स्टेबल, सस्टेनेबल ग्रोथ के रास्ते पर लाने की चुनौती है।
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