बिहार में 10वीं बार फिर नीतीश कुमार, भारत के ये नेता भी रहे लंबे समय तक मुख्यमंत्री
नीतीश कुमार ने गुरुवार को 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री की शपथ ली। इसी के साथ वह भारत के किसी भी मुख्यमंत्री से सबसे ज्यादा बार CM पद की शपथ लेने वाले पहले नेता बन गए हैं। इससे पहले उन्होंने नौ बार CM पद की शपथ ली है, जो खुद में ही एक बड़ी उपलब्धि है। यह रिकॉर्ड उनकी लंबे समय तक और लगातार राजनीतिक मजबूती और लोकप्रियता का प्रमाण है। उनके साथ BJP कोटे- सम्राट चौधरी और विजय ने भी उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली।नीतीश कुमार के बाद, बहुत से ऐसे नेता हैं, जिन्होंने कई बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली हैं, लेकिन 10 का आंकड़ा अब तक किसी ने नहीं छुआ है। इस लिहाज से नीतीश कुमार देश के सबसे अनुभवी और रिकॉर्ड-धारक मुख्यमंत्री हैं। आइए जानते हैं इस रेस में बाकी दूसरे नेता कौन हैं-
नवीन पटनायक (ओडिशा): 24 साल (5 मार्च 2000 – 12 जून 2024):
नवीन पटनायक ने ओडिशा के मुख्यमंत्री के रूप में 24 सालों से ज्यादा सेवा दी। इस दौरान उन्होंने राज्य की राजनीति और प्रशासनिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया। शांत स्वभाव, सादगी और दृढ़ निर्णयों के लिए प्रसिद्ध पटनायक का कार्यकाल BJP की 2024 की जीत के साथ खत्म हुआ, लेकिन वे भारत के सबसे लोकप्रिय और लंबे समय तक सेवा देने वाले नेताओं में शामिल हैं।
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ज्योति बसु (पश्चिम बंगाल): 23 साल (21 जून 1977 – 5 नवंबर 2000):
ज्योति बसु भारत के सबसे सम्मानित वामपंथी नेताओं में से थे। उन्होंने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में 23 सालों से ज्यादा शासन किया। उन्होंने राजनीतिक स्थिरता और पार्टी विचारधारा में अद्भुत संतुलन बनाए रखा। उन्हें एक बार भारत के प्रधानमंत्री पद का प्रस्ताव मिला था, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया।
गेगोंग अपांग (अरुणाचल प्रदेश): 22 साल (18 जनवरी 1980 – 19 जनवरी 1999; 3 अगस्त 2003 – 9 अप्रैल 2007):
गेगोंग अपांग राज्य की राजनीति के सबसे प्रमुख चेहरों में रहे। उन्होंने दो अलग-अलग अवधियों में लगभग 23 सालों तक मुख्यमंत्री पद संभाला। अपांग ने प्रशासनिक ढांचे और विकास को मजबूत किया। अलग-अलग राजनीतिक परिस्थितियों में उनका फिर से सत्ता में लौटना उनकी अनूठी नेता के रूप में पहचान स्थापित करता है।
लाल थनहवला (मिजोरम): 22 साल (5 मई 1984 – 21 अगस्त 1986; 24 जनवरी 1989 – 3 दिसंबर 1998; 11 दिसंबर 2008 – 15 दिसंबर 2018):
लाल थनहवला ने मुख्यमंत्री के तौर पर तीन अवधियों में 22 सालों तक सेवा दी। उनके नेतृत्व में राज्य में सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा में उल्लेखनीय सुधार हुआ। उनकी राजनीतिक यात्रा में लगातार जीत और वापसी प्रमुख रही।
वीरभद्र सिंह (हिमाचल प्रदेश): 21 साल (8 अप्रैल 1983 – 5 मार्च 1990; 3 दिसंबर 1993 – 24 मार्च 1998; 6 मार्च 2003 – 30 दिसंबर 2007; 25 दिसंबर 2012 – 27 दिसंबर 2017):
वीरभद्र सिंह राज्य के सबसे लंबे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने अनेक बार पद संभालते हुए करीब 21 सालों तक हिमाचल प्रदेश का नेतृत्व किया। उनका कार्यकाल \“गोल्डन पीरियड\“ माना जाता है, जिसमें प्रगति और विकास के कई मॉडल बने।
माणिक सरकार (त्रिपुरा): 19 साल (11 मार्च 1998 – 9 मार्च 2018):
माणिक सरकार को भारत के सबसे ईमानदार और सादगीपूर्ण मुख्यमंत्रियों में माना जाता है। उन्होंने लगातार 19 सालों तक त्रिपुरा का नेतृत्व किया। अपने समाजवादी दृष्टिकोण और अनुशासन के लिए प्रसिद्ध, उनके दौर में राज्य ने स्वास्थ्य, शिक्षा और शांति के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की।
नीतीश कुमार (बिहार): 19 साल (3 – 11 मार्च 2000; 24 नवंबर 2005 – 20 मई 2014; 2 फरवरी 2015 – वर्तमान):
नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में स्थिरता और विकास के प्रतीक हैं। वे पहली बार 2000 में मात्र सात दिन के लिए मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन 2005 के बाद से उनका कद लगातार बढ़ता गया। 2015 से उनका कार्यकाल लगातार चल रहा है। नीतीश कुमार ने कुल मिलाकर 19 सालों से ज्यादा शासन किया, जिससे वे राज्य के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वालों में शामिल हैं।
एम करुणानिधि (तमिलनाडु): 18 साल (10 फरवरी 1969 – 31 जनवरी 1976; 27 जनवरी 1989 – 30 जनवरी 1991; 13 मई 1996 – 14 मई 2001; 13 मई 2006 – 16 मई 2011):
\“कलैग्नर\“ के नाम से विख्यात करुणानिधि, तमिलनाडु के सबसे प्रभावशाली नेताओं में रहे। वे चार कार्यकालों में 18 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे और राज्य को सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक तौर पर मुख्यधारा में लाने में बड़ी भूमिका निभाई।
प्रकाश सिंह बादल (पंजाब): 18 साल (27 मार्च 1970 – 14 जून 1971; 20 जून 1977 – 17 फरवरी 1980; 12 फरवरी 1997 – 26 फरवरी 2002; 1 मार्च 2007 – 16 मार्च 2017):
प्रकाश सिंह बादल पंजाब की राजनीति के दिग्गज रहे। चार बार मुख्यमंत्री बनकर उन्होंने 18 सालों तक राज्य का नेतृत्व किया। वे एक समय भारत के सबसे युवा मुख्यमंत्री भी बने थे। उनके कार्यकाल को पंजाब की कृषि, ग्रामीण विकास और प्रशासन में नई दिशा देने के लिए याद किया जाता है।
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