चुनिंदा कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स की खुली बिक्री को मिल सकती है इजाजत, सरकार ने एक्सपर्ट पैनल के सामने रखा प्रपोजल
भारत जल्द ही लेवोनोर्गेस्ट्रेल-बेस्ड इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स को ओवर द काउंटर (OTC) बेचने की इजाजत दे सकता है। इसका मतलब है कि ये गोलियां डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना बेची जा सकेंगी। इन पिल्स को आमतौर पर मॉर्निंग-आफ्टर पिल्स के नाम से जाना जाता है। इस कदम से पूरे भारत में जनरल स्टोर और केमिस्ट शॉप्स पर इन पिल्स की पहुंच काफी बढ़ जाएगी। इस बदलाव से यह गोली दवा कानूनों के शेड्यूल K के तहत आ जाएगी, जो ओवर द काउंटर बिक्री को कंट्रोल करता है।यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर ने एक एक्सपर्ट पैनल \“ड्रग्स कंसल्टेटिव कमेटी\“ (DCC) के सामने एक प्रपोजल रखा है। इसमें जोर दिया गया है कि OTC स्टेटस के बावजूद, गोली के पैक और ब्लिस्टर पर सख्त वॉर्निंग लेबल होने चाहिए। पैनल डिस्कशन के एजेंडा डॉक्यूमेंट में कहा गया है लेवोनोर्गेस्ट्रेल टैबलेट 0.75mg/1.5mg जो कि इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव हैं, उन्हें ड्रग्स रूल्स 1945 के शेड्यूल K की एंट्री नंबर 15 के तहत जोड़ा जाएगा। अगर पैनल इसे मान लेता है और टॉप ड्रग कंट्रोलर इस बदलाव को मंजूरी दे देता है, तो यह कदम भारत के कॉन्ट्रासेप्शन के माहौल में एक बड़ा बदलाव लाएगा।
देश में बढ़ रही है टीनएज प्रेग्नेंसी
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भारत में टीनएज प्रेग्नेंसी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसकी वजह है सेक्सुअल एक्टिविटी जल्दी शुरू होना, कॉन्ट्रासेप्शन के बारे में कम जानकारी, स्कूल-बेस्ड सेक्स एजुकेशन में कमी, और कॉन्फिडेंशियल रिप्रोडक्टिव हेल्थ सर्विसेज तक सीमित पहुंच। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 (2019-21) में पाया गया कि सर्वे के वक्त 15-19 साल की 6.8% महिलाओं ने या तो बच्चे को जन्म दिया था या वे प्रेग्नेंट थीं। पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे कुछ राज्यों में यह दर ज्यादा थी।
सभी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स पर रहेगी चेतावनी
प्रपोजल में यह भी है कि सभी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स, चाहे वे OTC हों या सिर्फ प्रिस्क्रिप्शन वाली, उन पर जो डिटेल्स होंगी, उसमें यह चेतावनी भी शामिल होगी कि इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव HIV या दूसरी सेक्शुअली ट्रांसमिटेड बीमारियों से नहीं बचाते हैं। पैकेजिंग पर यह भी लिखा होना चाहिए कि गोली महीने में दो बार से ज्यादा नहीं लेनी चाहिए और यूजर्स को रेगुलर कॉन्ट्रासेप्शन के तरीकों के लिए किसी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर से सलाह लेनी चाहिए।
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दूसरी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स सिर्फ प्रिस्क्रिप्शन पर ही मिलेंगी
पैनल ने यह भी सुझाव दिया कि एक और इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव दवा यूलिप्रिस्टल को शेड्यूल H के तहत सिर्फ प्रिस्क्रिप्शन वाली लिस्ट में औपचारिक रूप से जोड़ा जाए। पैनल ने डुप्लीकेशन से बचने के लिए मौजूदा हार्मोनल-ड्रग कैटेगरी को फिर से बनाने का भी सुझाव दिया। यूलिप्रिस्टल का इस्तेमाल इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्शन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के एक्शन को बदलकर यूटेराइन फाइब्रॉएड के इलाज के लिए किया जाता है। प्रपोजल में यह भी सुझाव है कि सेंटक्रोमैन और एथिनिलोएस्ट्राडियोल दवाओं के लिए भी शेड्यूल H के तहत प्रिस्क्रिप्शन की जरूरत बरकरार रहनी चाहिए।
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