10वीं बार मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार: बिहार की राजनीति के सबसे स्थायी और प्रभावशाली चेहरे का संपूर्ण प्रोफाइल
/file/upload/2025/11/8888680630745448464.webpनीतीश कुमार शपथ लेते हुए
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार की राजनीति में सुशासन और स्थिर नेतृत्व का चेहरा माने जाने वाले नीतीश कुमार ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। 2025 में NDA की जीत के साथ वे 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं। यह उपलब्धि उन्हें देश के सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले मुख्यमंत्रियों में शामिल करती है। उनका राजनीतिक सफर न केवल अनुभव और परिपक्वता का प्रतीक है, बल्कि बिहार के सामाजिक और प्रशासनिक ढांचे में गहरे परिवर्तन का दास्तावेज़ भी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
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1951 में पटना जिले के बख्तियारपुर में जन्मे नीतीश कुमार ने बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (अब NIT पटना) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।
पढ़ाई के बाद उनका रुझान राजनीति की ओर बढ़ा, और 1970 के दशक में वे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़ गए।
इस आंदोलन ने उनके भीतर सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक चेतना को मजबूत आधार दिया। 1985 में वे पहली बार सांसद बने और इसके बाद राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने लगे।
नीतीश ने केंद्र में रेल मंत्री, कृषि मंत्री और Surface Transport मंत्री जैसी अहम जिम्मेदारियां संभालीं थी।
रेल मंत्रालय के कार्यकाल में उन्होंने यात्री सुविधाओं में सुधार और ट्रेन संचालन में नई पारदर्शिता लाने के लिए याद किया जाता है।
किंतु उनका सबसे बड़ा प्रभाव बिहार की राजनीति में दिखाई देता है। 2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने राज्य में कानून-व्यवस्था, सड़क, बिजली और शिक्षा को सुधारने का व्यापक अभियान चलाया। उनके फैसलों ने बिहार की छवि बदलने में अहम भूमिका निभाई।
महिला सशक्तिकरण नीतीश की नीतियों की सबसे बड़ी पहचान बनी, खासकर पंचायतों में 50% आरक्षण और ‘कन्या उत्थान योजना’ के जरिए।
सात निश्चय जैसी योजनाओं ने ग्रामीण विकास को नई दिशा दी। शराबबंदी, हालांकि विवादों में रही, लेकिन इसे उन्होंने सामाजिक सुधार का हिस्सा कहा।
गठबंधन राजनीति को समझने और साधने की कला नीतीश की सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने समय-समय पर राजनीतिक समीकरण बदले, पर हर बार शासन में बनाए रहे, यह उनकी स्वीकार्यता और रणनीतिक कौशल का प्रमाण है।
10वीं बार शपथ के साथ नीतीश कुमार ने साबित किया है कि वे सिर्फ राजनेता नहीं, बल्कि बिहार की आधुनिक राजनीतिक दिशा के प्रमुख निर्माता हैं, जिनकी भूमिका आने वाले वर्षों में भी निर्णायक रहेगी।
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