Chikheang Publish time 2025-11-20 11:36:54

Muzaffarpur: लीची को जीआई टैग मिलने के बाद पेड़ों की कराई जाएगी गणना, उद्यान विभाग की देखरेख में होगा काम

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लीची के पेड़ों की गिनती से किसानों को लाभ। प्रतीकात्मक तस्वीर



जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर की लीची को जीआई टैग मिलने के बाद अब पेड़ों की गणना कराई जाएगी। जिला उद्यान विभाग की देखरेख में इस कार्य को संपन्न कराया जाएगा।

विभाग के अनुसार जिले में लीची के पेड़ों की संख्या और किस्म की जानकारी के लिए विशेष सर्वे कराने की योजना है। इसी उद्देश्य से पेड़ों की गिनती कराने की तैयारी है।

सभी प्रखंडों के कृषि और उद्यान विभाग के अधिकारियों व कर्मियों के साथ बैठक में रूपरेखा तय कर संयुक्त अभियान चलाकर गिनती होगी। इससे लीची के पेड़ों की सही संख्या का पता लगेगा।

इसके आधार पर विभाग क्षेत्र और पौधों का विस्तार करने की योजना बनाएगा। विभागीय अधिकारी किसानों से संपर्क करेंगे और उनसे बागों में लगे पेड़ों की संख्या संग्रहित करेंगे, इसके बाद समेकित डाटा तैयार किया जाएगा। कर्मी बागों में जाकर सत्यापन भी करेंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

फिलहाल, मुजफ्फरपुर में 12 हजार हेक्टेयर में लीची के बाग हैं। यहां मुख्य रूप से शाही और चाइना प्रभेद की लीची की पैदावार होती है। जिला कृषि पदाधिकारी सुधीर कुमार ने कहा कि पहली बार यह पहल की जाएगी।

कहा कि जिले में पुराने बाग कट रहे वहीं नए बाग लगाए जा रहे है। इस गणना के बाद पता चलेगा कि बाग बढ़े तो कितने पेड़ बढ़ गए। जिला उद्यान पदाधिकारी के नेतृत्व में इस काम को कराया जाएगा।

उद्यान विभाग के अधिकारी व कर्मियों के साथ इसमें पंचायत स्तर पर कृषि सलाहकार, कृषि समन्वयक की भागीदारी होगी। लीची के साथ आम व अन्य पेड की गणना की योजना भी आगे बनेगी।
बिहार की लीची को 2018 में मिला जीआई टैग

जानकारी के अनुसार बिहार की शाही लीची को 2018 में जीआई टैग मिला। यह मुख्य रूप से मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण और बेगूसराय जिलों में इसके बाग हैं।

जीआई टैग मिलने से इसकी नकल और मिलावट की संभावना कम हो गई है। बौद्धिक संपदा कानून के तहत शाही लीची को अब जीआई टैग (जियोग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन) मिल गया है। उसके बाद शाही लीची एक ब्रांड के रूप में पहचाना जा रहा हैं।
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