cy520520 Publish time 2025-11-20 10:36:48

Aaj ka Panchang 20 November 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या पर बन रहे ये शुभ-अशुभ योग, यहां पढ़ें राहुकाल का समय

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Aaj ka Panchang 20 November 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या का धार्मिक महत्व



आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। आज यानी 20 नवंबर को मार्गशीर्ष अमावस्या ( Margashirsha Amavasya 2025) मनाई जा रही है। इस दिन पितृ तर्पण, दान और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही पितृ दोष से छुटकारा मिलता है। मार्गशीर्ष अमावस्या पर कई योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 20 November 2025) के बारे में। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

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(Image Source: AI-Generated)

तिथि: अमावस्या
मास पूर्णिमांत: मार्गशीर्ष
दिन: गुरुवार
संवत्: 2082

तिथि: अमावस्या: दोपहर 12 बजकर 16 मिनट तक
योग: शोभन: प्रातः 09 बजकर 53 मिनटतक
करण: नाग: दोपहर 12 बजकर 16 मिनटतक
करण: किम्स्तुघ्न 21 नवंबर को रात्रि 01 बजकर 32 मिनटतक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय: प्रातः 06 बजकर 48 मिनट पर
सूर्यास्त: सायं 05 बजकर 26 मिनट पर
चंद्रोदय: आज चंद्रोदय नहीं होगा
चंद्रास्त: सायं 05 बजकर 13 मिनट पर

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(Image Source: AI-Generated)

सूर्य राशि: वृश्चिक
चन्द्रमा की राशि: वृश्चिक
आज के शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक
अमृत काल: 21 नवंबर को रात्रि 02 बजकर 15 मिनट से 04 बजकर 03 बजे मिनट
आज के अशुभ समय

राहुकाल: दोपहर 01 बजकर 26 मिनट से दोपहर 02 बजकर 46 मिनट तक
गुलिकाल: प्रातः 09 बजकर 27 मिनट से प्रातः 10 बजकर 47 मिनट तक
यमगण्ड: प्रातः 06 बजकर 48 मिनट से प्रातः 08 बजकर 07 मिनट तक
आज का नक्षत्र

आज चंद्रदेव विशाखा नक्षत्र में रहेंगे।
विशाखा नक्षत्र: प्रातः 10 बजकर 58 मिनट तक
सामान्य विशेषताएं: ईर्ष्यालु, क्रोधी, ईश्वर-भक्त, ईमानदार, महत्वाकांक्षी, योद्धा स्वभाव, धैर्यवान, हास्यप्रिय और मिलनसार
नक्षत्र स्वामी: बृहस्पति देव
राशि स्वामी: शुक्र देव, मंगल देव
देवता: इंद्राग्नि - यज्ञ के देवता
प्रतीक: विजय का मेहराब या कुम्हार का चाक
मार्गशीर्ष अमावस्या का धार्मिक महत्व

मार्गशीर्ष अमावस्या, जो वर्ष 2025 में आज यानी 20 नवंबर को मनाई जा रही है। हिंदू धर्म में पितृ तर्पण, दान और आध्यात्मिक साधना के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन श्रद्धालु प्रातःकाल स्नान कर भगवान विष्णु और शिव की पूजा करते हैं। तर्पण, दीपदान और तिलदान करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और परिवार पर संरक्षण व शांति बनी रहती है। नदी या सरोवर में स्नान का विशेष पुण्य बताया गया है। मार्गशीर्ष अमावस्या आत्मचिंतन, नकारात्मकता दूर करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने का उत्तम अवसर प्रदान करती है।
मार्गशीर्ष अमावस्या पर क्या करें? (Margashirsha Amavasya 2025)

[*]प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ व्रत-उपयुक्त वस्त्र पहनें।
[*]पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान या जल अर्पण करें।
[*]भगवान विष्णु, शिव और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
[*]दीपदान करें विशेषकर जल, तुलसी या मंदिर में दिया जलाएं।
[*]तिल, गुड़, कंबल, अन्न या वस्त्र का दान करें।
[*]नदी, सरोवर या घर के स्वच्छ जल में स्नान करने से विशेष पुण्य मिलता है।
[*]दिनभर संयम, साधना और मंत्रजप करें।
[*]जरूरतमंदों को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है।


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