गुलाम नबी आजाद की DPAP का बिखर रहा कुनबा, दो पूर्व मंत्रियों सहित तीन नेताओं ने थामा कांग्रेस का दामन
/file/upload/2025/11/6583827919392197324.webpगुलाम नबी आजाद की डीपीएपी पार्टी का कुनबा बिखर रहा है (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, जम्मू। गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) का कुनबा अब लगभग पूरी तरह से बिखर गया है। पार्टी की इकाइयां भंग होने के कारण सियासी गतिविधियां खत्म हो गई हैं।
एक-एक करके दिग्गज नेता पार्टी को बाय बाय कर चुके हैं। वहीं बुधवार को पूर्व मंत्री जुगल किशोर शर्मा, पूर्व मंत्री अब्दुल मजीद वानी, पूर्व एमएलसी सुभाष गुप्ता की डीपीएपी को छोड़ बुधवार को कांग्रेस में वापसी हो गई।
ये तीनों नेता साल 2022 में कांग्रेस को अलविदा कह कर आजाद की पार्टी में शामिल हो गए थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती पर जम्मू में बुधवार को हुए कार्यक्रम में इन नेताओं का जम्मू में राष्ट्रीय महासचिव और जम्मू-कश्मीर प्रभारी सैयद नासिर हुसैन, जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा और कांग्रेस महासचिव जीए मीर ने पार्टी में स्वागत किया।विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बता दें कि जुगल किशोर शर्मा 2000 से 2005 तक मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व वाली पीडीपी-कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे। उसके बाद 2005 से 2008 तक गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व वाली कांग्रेस-पीडीपी सरकार में भी उन्होंने मंत्री पद संभाला। वानी भी आजाद सरकार में मंत्री बनाए गए थे।
जुगल किशोर शर्मा ने कहा कि कांग्रेस ही एकमात्र पार्टी है जो धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करती है और अपने नेताओं को खुलकर बोलने की आजादी देती है। कांग्रेस धर्म के नाम पर राजनीति नहीं करती।
जैसे ही उनकी कांग्रेस में वापसी की खबरें आईं, उन्हें कई तरह की सलाह मिलने लगीं। शर्मा ने कहा कि दूसरी पार्टी धर्म के नाम पर वोट मांगती है, जिसका हम समर्थन नहीं करते। धर्म निजी मुद्दा है और हर व्यक्ति को अपनी आस्था का पालन करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
प्रदेश प्रधान तारिक हमीद करा ने कहा कि हमारा इस समय ध्यान जम्मू कश्मीर के राज्य के दर्जे की बहाली के लिए चलाए जा रहे अभियान पर केंद्रित है। राज्य के दर्जे की बहाली के मुद्दे पर भाजपा को अपना रुख साफ करना चाहिए। भाजपा ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है। हमारा संघर्ष रुकने वाला नहीं है।
कांग्रेस के जम्मू कश्मीर प्रभारी डा. सैयद नसीर हुसैन ने भाजपा पर विभाजनकारी-नीतियों और चुनावी अनियमितताओं का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पहले महाराष्ट्र, हरियाणा सहित कई राज्यों में वोट चोरी जैसी तरीकों से भाजपा सत्ता में आती रही और अब चुनाव आयोग का सहारा लेकर चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने दावा किया कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान पहली बार किसी सरकार ने चुनाव के बीच में ही कैश फार वोट जैसी योजना शुरू की, जिसके तहत महिलाओं को 10 हजार देकर प्रभावित किया, जबकि चुनाव आयोग पूरी तरह मौन रहा। बिहार में 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए। कार्यक्रम में दिव्या मांदरेणा, मुख्य प्रवक्ता रविंद्र शर्मा, रमण भल्ला, नीरज कुंदन व अन्य शामिल हुए।
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