LHC0088 Publish time 2025-11-19 19:37:26

Ramayan Story: पतिव्रता होने के बाद भी मंदोदरी कैसे बनी रावण की मृत्यु का कारण

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मंदोदरी और हनुमान जी की कथा।



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वाल्मीकि जी द्वारा लिखा गया रामायण ग्रंथ (Ramayana katha) हिंदू धर्म का एक प्रमुख ग्रंथ है, जो संस्कृत का भी पहला महाकाव्य है। मंदोदरी भी इस ग्रंथ का एक प्रमुख पात्र रही है, जिसे हम सभी मंदोदरी को रावण की पत्नी के रूप में जानते हैं। मंदोदरी एक पतिव्रता नारी भी थी, जो भगवान शिव की परम भक्ति भी थी। भगवान शिव के वरदान के कारण ही उसका विवाह रावण से हुआ था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
विभीषण ने बताया ये भेद

युद्ध के दौरान भगवान श्री रामचन्द्र द्वारा कई बार अपने बाण से रावण के सिर को उसके धड़ से अलग करने के बाद भी रावण की मृत्यु नहीं होती। तब विभीषण, भगवान श्रीराम को रावण की पराजय का भेद बताते हैं, जिसके अनुसार, रावण की मृत्यु केवल एक दिव्य बाण को उसकी नाभी में मारकर ही की जा सकती थी।

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(AI Generated Image)

यह दिव्य बाण रावण को ब्रह्मा जी द्वारा वरदान के रूप में दिया गया था। रावण ने इस बाण को राजमहल के अंदर अपने राज-सिंहासन के ठीक सामने वाले खंभे में चिनवा दिया था। रावण के अलावा इस बात का पता केवल मंदोदरी को ही था।
हनुमान जी ने ये वेश किया धारण

तब हनुमान जी एक ज्योतिषाचार्य के रूप में रावण के महल में प्रवेश करते हैं। वह अपनी बुद्धिमत्ता और भक्ति से मंदोदरी का विश्वास जीत लेते हैं, जिससे मंदोदरी के उन्हें उस दिव्य बाण के बारे में बता देती है। तब हनुमान जी अपने असली स्वरूप में आते हैं और एक घूंसे से उस खम्बें को तोड़कर बाण निकाल लेते हैं।

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युद्ध भूमि में वापस आकर बाण हनुमान जी भगवान राम को सौंप देते हैं। तब इस बाण के उपयोग से भगवान श्री राम, रावण की नाभि को निशाना बनाते हैं, जिससे रावण की मृत्यु होती है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि अनजाने में ही सही, लेकिन रावण की मृत्यु के पीछे मंदोदरी का भी हाथ रहा।

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