क्या सच में WhatsApp से 3.5 बिलियन मोबाइल नंबर हो गए लीक? दुनिया भर के यूजर्स पर खतरा!
/file/upload/2025/11/6715855663751790801.webpक्या सच में WhatsApp से 3.5 बिलियन मोबाइल नंबर हो गए लीक? दुनिया भर के यूजर्स पर खतरा!
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। क्या आप भी इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप WhatsApp का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपके लिए एक बड़ी खबर है। दरअसल ये प्लेटफॉर्म एक बार फिर गंभीर सिक्योरिटी खामी की वजह से काफी ज्यादा चर्चा में है। जी हां, हालिया रिपोर्ट्स में ऐसा कहा जा रहा है कि प्लेटफॉर्म के लगभग 3.5 बिलियन यानी करीब 350 करोड़ यूजर्स के मोबाइल नंबर ऑनलाइन एक्सपोज हो गए हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि ये संख्या ऐप के लगभग हर एक्टिव यूजर को कवर करती है, यानी दुनिया भर के यूजर्स का डेटा खतरे में पड़ गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हालांकि इसमें चौंकाने वाली बात ये है कि यह गलती किसी हैकर ग्रुप के अटैक की वजह से नहीं हुई है, बल्कि ये गलती WhatsApp की पेरेंट कंपनी Meta की लापरवाही से हुई है। इतना ही नहीं 9To5Mac ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कंपनी को इस समस्या के बारे में आठ साल पहले ही जानकारी दे दी गई थी, लेकिन लंबे टाइम तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया था।
एक्सपर्ट्स ने पहले ही दी थी चेतावनी
दरअसल 2017 में University of Vienna के रिसर्चर्स ने इस खामी की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा था कि इसकी मदद से WhatsApp यूजर्स के मोबाइल नंबर काफी आसानी से हासिल किए जा सकते हैं। इतना ही नहीं रिसर्चर्स ने सिर्फ आधे घंटे के अंदर ही अमेरिका के 3 करोड़ से ज्यादा लोगों के मोबाइल नंबर इकट्ठा कर लिए थे। जिसके बाद टीम ने इस डेटा को डिलीट कर दिया और फिर Meta को दोबारा इसकी जानकारी दी।
इसी के साथ साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स ने इस खामी को simple नाम दिया और ये चेतावनी भी दी कि अगर यह तकनीक हैकर्स के हाथ लग गई, तो ये हिस्ट्री के सबसे बड़े डेटा लीक में भी बदल सकता है।
ये खामी बनी बड़े डेटा लीक की वजह
रिपोर्ट्स में ऐसा बताया जा रहा है कि ये समस्या WhatsApp के नंबर-वेरिफिकेशन प्रोसेस में है। जब भी कोई यूजर किसी नए नंबर को अपने फोन में सेव करता है, तो ऐप ये बताता है कि वो नंबर WhatsApp पर एक्टिव है या नहीं। इसी प्रोसेस में मौजूद खामी बड़े डेटा लीक की वजह बनी है।
Meta ने भी दिया जवाब
इस रिपोर्ट के आते ही मेटा ने भी इस पर जवाब देते हुए कहा है कि ये मामला उनके Bug Bounty Program का हिस्सा है और University of Vienna के साथ सहयोग से इस बड़ी खामी का पता लगाया गया है। कंपनी ऐसा दावा कर रही है कि वो इस समस्या को ठीक करने पर काम कर रही है।
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