समीक्षा बैठक : ₹1970 करोड़ टर्नओवर पर ₹368 करोड़ की GST चोरी गंभीर, नेटवर्क खंगालने के निर्देश
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जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। टैक्स बकाया वसूली को लेकर शासन गंभीर है। बकाया वसूली के लक्ष्य को लेकर और जीएसटी चोरों के विरुद्ध अभियान शुरू हो गया है। मंगलवार को मुरादाबाद पहुंचे प्रमुख सचिव, राज्य कर (जीएसटी) एम देवराज ने स्पष्ट किया, बकाया वसूली में लापरवाही नहीं चाहिए। वन बाइ वन डिप्टी कमिश्नरों से प्रगति रिपोर्ट पूछी तो अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। उन्होंने जीएसटी चोरी करने वालों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद लखनऊ एसआइटी को रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वहीं उन्होंने कहा कि बकायेदारों से वसूली में जुटे रहें और एक लाख से कम के बकायेदारों की कुर्की न कराएं। 1970 करोड़ रुपये के टर्नओवर पर 368 करोड़ की जीएसटी चोरी को गंभीर बताया। बोले, अब तक की जांच, प्राप्त साक्ष्य, फर्जी फर्मों के नेटवर्क तथा टैक्स चोरी में शामिल विभिन्न चैनलों की गतिविधियों का विस्तृत रखें और हर एक जानकारी साझा करते रहें। जिससे टैक्स चोरों पर सख्त कार्रवाई कराई जा सके।
राज्यकर अधिकारियों ने सबसे पहले प्रमुख सचिव को प्रारंभिक जांच में सामने आए तथ्यों के बारे में बताया। जीएसटी चोरी करने वाली फर्मों का न तो कोई वास्तविक व्यापार गतिविधि का रिकार्ड मिला है और न ही इनका व्यवसायिक ढांचा सामान्य व्यापार मानकों के अनुरूप है। कई फर्में कागजों पर और इन्हीं के माध्यम से फर्जी बिलिंग करके टैक्स क्रेडिट पास किया गया।
प्रमुख सचिव ने अधिकारियों से प्रत्येक फर्म की भूमिका, उसके व्यवसाय की प्रकृति, बैंक लेनदेन, डिजिटल ट्रेल, जीएसटी पोर्टल पर किए गए अपलोड, खरीद-बिक्री के दस्तावेज और आपसी नेटवर्किंग के बारे में बिंदुवार रिपोर्ट मांगी। ऐसी संगठित टैक्स चोरी बड़े रैकेट का हिस्सा लगती है, इसलिए जांच को सीमित दायरे में रखने के बजाय पूरे नेटवर्क को खंगालना जरूरी है।
उन्होंने पूछा कि टैक्स बकाया की वसूली, लंबित प्रकरणों की स्थिति, नोटिस जारी करने और रिकवरी की कार्रवाई किस स्तर पर पहुंची है। प्रमुख सचिव ने कड़े लहजे में कहा कि लंबे समय से लंबित टैक्स बकाया प्रकरणों को भी इसी अभियान का हिस्सा बनाकर तेजी से निपटाया जाए ताकि राजस्व हानि को रोका जा सके।
साथ ही, उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि जांच में किसी प्रकार की शिथिलता न बरती जाए और हर संदिग्ध गतिविधि को तकनीकी तौर पर भी परखा जाए। इस बीच अधिकारियों ने बताया कि कई फर्मों से जुड़े दस्तावेज, कंप्यूटर डाटा, मोबाइल रिकार्ड और डिजिटल लेनदेन का विश्लेषण किया जा रहा है।
विभाग ने उन फर्मों को भी चिह्नित किया है, जिन्होंने फर्जी इनवाइस बनाकर बड़े पैमाने पर आइटीसी पास की। इन्हीं फर्मों के माध्यम से टैक्स चोरी करने वालों ने अपने नेटवर्क को सक्रिय किया था। आइपी एड्रेस की ट्रैकिंग, फर्जी पंजीकरण के स्रोत, आपरेट करने वाले व्यक्तियों की पहचान और अन्य राज्यों से प्राप्त इनपुट भी जांच में शामिल किए जा रहे हैं।
इसके अलावा, जिन जिलों से फर्जी फर्मों का संचालन होने की आशंका है, वहां की टीमों को भी सतर्क किया गया है और उनसे प्राप्त रिपोर्टों को मुख्य जांच में जोड़ा जा रहा है। टैक्स चोरी सिर्फ राजस्व हानि का मामला नहीं है, बल्कि यह ईमानदार व्यापारियों के साथ भी अन्याय है। जब कोई फर्जी बिलिंग कर टैक्स चोरी करता है, तो बाजार में प्रतिस्पर्धा असंतुलित होती है।
उन्होंने निर्देश दिया कि दोषियों के विरुद्ध न केवल वित्तीय दंड, बल्कि आवश्यक होने पर कानूनी कार्रवाई भी की जाए, ताकि भविष्य में कोई इस तरह की धोखाधड़ी का प्रयास न कर सके। रात साढ़े आठ बजे तक बैठक हुई।
इसमें अपर आयुक्त ग्रेड वन अशोक कुमार सिंह, अपर आयुक्त ग्रेड टू एसआइबी आरए सेठ, अपर आयुक्त अपील ओपी वर्मा, डीके वर्मा, ज्वाइंट कमिश्नर शैलेंद्र उपाध्याय, मोहित गुप्ता, राजीव आर्थव, ज्वाइंट कमिश्नर एसआइबी मिलिंद राज, प्रीति शर्मा, एसपी तिवारी के अलावा मुरादाबाद, संभल, रामपुर, अमरोहा और बिजनौर के डिप्टी कमिश्नर रहे।
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