Bihar Politics: विजय के चौके ने तोड़ा 2010 का रिकॉर्ड, अब नीतीश कुमार देंगे बड़ी जिम्मेदारी!
/uploads/allimg/2025/11/7360004357290360638.webpनीतीश कुमार के साथ विजय चौधरी।
जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। बिहार की राजनीति में जदयू के कद्दावर व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भरोसेमंद सहयोगी मंत्री विजय कुमार चौधरी अपने सधे राजनीतिक अनुभव और शांत स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र से लगातार जीत का चौका लगा दिया। परिणाम में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजद के अरविंद कुमार सिंह को 20798 मतों के अंतर से पराजित किया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वैसे उनकी यह सातवीं जीत है। इस बार उन्हें और बड़ी जिम्मेवारी मिलने के आसार से क्षेत्र के लोग गदगद हैं। विजय कुमार चौधरी ने 1982 के उपचुनाव में दलसिंहसराय से जीत दर्ज कर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। 2010 में राजद के रामाश्रय सहनी को 17,557 मतों से पराजित किया था। उस समय जदयू भाजपा एक साथ थी।
2015 में जब जदयू-राजद एक साथ थी तो उन्होंने 34044 मतों से जीत हासिल की। 2020 में भी भाजपा जदयू एक साथ थी तो उन्होंने 3682 मतों से जीत हासिल की। 2025 के चुनाव में एक बार फिर भाजपा जदयू एक साथ थी तो मत का अंक 2010 से अधिक पहुंच गया। जानकार लोग इसके पीछे सरकार की नीतियों, बुजुर्गों, महिलाओं और युवाओं का प्रयास मानते हैं।
बता दें कि 1985 और 1990 में वे कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने। 1995 और 2000 में जनता दल से चुनाव हारने के बाद उन्होंने 2005 में जदयू का दामन थामा। पहले पार्टी के महासचिव बने और फिर प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला। इसके बाद उनका राजनीतिक कद लगातार बढ़ता गया।
2010 में सरायरंजन विधानसभा सीट से उन्होंने राजद प्रत्याशी रामाश्रय सहनी को 17,754 मतों से हराकर जोरदार वापसी की। उनके नेतृत्व में हुए चुनावों में राजग को उल्लेखनीय सफलता मिली। तब से वे लगातार चौथी बार इस सीट से जीत दर्ज कर चुके हैं। क्षेत्र में उनकी पहचान विकास कार्यों और सौम्य व्यवहार के लिए है। इस बार भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा उन्हें बड़ी जिम्मेवारी सौंपी जाएगी। ऐसा लोग अनुमान लगा रहे हैं।
जीत के नेपथ्य में रजनीकांत चौधरी अव्वल
वैसे तो हर चुनाव विकट होता है। अपने पराए हो जाते हैं और पराए अपने। सरायरंजन विधानसभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही हुआ। आधार मतों में सेंधमारी के लिए तीन-तीन उम्मीदवार मैदान में थे। कुछ गठबंधन में रहते हुए अंदर खाने सेंधमारी को तैयार थे। ऐसे में स्थानीय नेतृत्व और पिछले कई वर्षों से उनके विधायी कार्य को छोड़कर स्थानीय सभी पेचीदगी को सुलझाने वाले रजनीकांत चौधरी उर्फ बब्लू चौधरी ने ऐसा ताना बाना बुनना शुरू किया जिसने इस चुनाव में और मजबूती प्रदान की।
आरंभिक दौर में लोगों ने उनके प्रयास को मजाक समझा। पुराने मठाधीशों ने उसे अपने ऊपर प्रहार बताया लेकिन बब्लू चौधरी लगे रहे। युवाओं की टीम की सक्रियता बढ़ाने और परंपारगत मतों के अतिरिक्त दूसरे आधार वाले युवाओं को पार्टी से जोड़ने का क्रम जारी रखा। इस दौरान उनकी आवश्यकताओं, जरूरतों को भी पूरा किया। युवाओं को जोड़ने का क्रम लगातार चलता रहा।
वर्तमान चुनावी क्रम को भाजपा की बुजुर्गों की टीम की सतत मिहनत ने भी निखारा। पूर्व प्रदेश महामंत्री जगन्नाथ ठाकुर की महज दो दिनों की उपस्थिति ने इस बार के चुनाव की न केवल जीत की राह आसान की बल्कि 2010 के चुनाव में जीत के अंतर से भी बड़ा अंतर खड़ा किया। बब्लू चौधरी पर कई आरोप भी लगे। किसी ने इसे बब्लू टैक्स का तगमा दिया तो किसी ने किसी और का। इस सबकी परवाह नहीं करते हुए रजनीकांत चौधरी अनवरत लगे रहे। परिणाम मतों के अंतर के रूप में सामने आया।
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