पंचायत चुनाव की आहट होते ही बढ़ गया यूपी के इस जिले का तापमान, टिकट बंटवारे से पहले ही बदलने लगे सियासी समीकरण
/file/upload/2025/11/6649321873468517764.webpमोहसिन पाशा, मुरादाबाद। जिले में पंचायत चुनाव की आहट होते ही सियासी तापमान बढ़ गया है। जिला पंचायत सदस्य पद के टिकट के लिए इस बार अपेक्षा से अधिक दावेदार सामने आ गए हैं। रोचक बात यह है कि सबसे आगे वही चेहरे दिखाई दे रहे हैं, जिन्होंने पिछले जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) का साथ छोड़कर पार्टी की प्रतिष्ठा तक दांव पर लगा दी थी। उस चुनाव में पर्चा दाखिल होने तक का संकट पैदा हो गया था, और वही लोग आज सबसे पहले टिकट मांगने की लाइन में खड़े हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जिले के लगभग हर वार्ड में दावेदारों की भीड़ दिख रही है। गांव–गांव चौपालें सज रही हैं और संभावित प्रत्याशी समर्थन जुटाने के लिए दौड़ लगा रहे हैं। सपा और कांग्रेस में टिकट चाहने वालों की संख्या सबसे ज्यादा बताई जा रही है, जबकि भाजपा में भी इच्छुक नेताओं ने संगठन से संपर्क बढ़ा दिया है। जिला पंचायत सदस्य पद को लोग स्थानीय विकास, राजनीतिक भविष्य और आगे की राजनीति का लांचिंग पैड मान रहे हैं। युवा चेहरे, पूर्व सदस्य, महिला उम्मीदवार सब अपने-अपने समीकरण कसने में जुट गए हैं।
सपा के लिए सबसे बड़ा झटका पिछले जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के वक्त लगा था। पार्टी के समर्थन से जीते अधिकतर जिला पंचायत सदस्य भाजपा खेमे की तरफ झुक गए थे। हाल यह हुआ कि सपा मुखिया द्वारा घोषित जिला पंचायत अध्यक्ष प्रत्याशी पर्चा दाखिल करने तक की स्थिति में भी नहीं रह पाए। पार्टी संगठन बिखरा और उस समय के जिलाध्यक्ष पर उंगलियां उठीं। बाद में उन्हें नुकसान भी भुगतना पड़ा था।
हाल यह था कि जिला पंचायत सदस्य और सपा से जुड़े चेहरे प्रदेश के अन्य जनपदों में जाकर सत्ता पक्ष के नेताओं से मुलाकात करते देखे गए। उनकी फोटो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुईं, जिससे पार्टी की किरकिरी हुई। यह जानकारी सीधे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव तक पहुंची, हालांकि उन्होंने सियासी उदारता दिखाते हुए सभी को माफ करने का निर्णय लिया था, लेकिन अब वही चेहरे फिर से सपा के टिकट की लाइन में सबसे आगे खड़े दिखाई दे रहे हैं, जिससे पार्टी संगठन में अंदरूनी तनाव बढ़ा है। मांग यह होने लगी है कि नए चेहरों को उतारा जाए। अब देखना यह है कि पार्टी इस क्या निर्णय लेती है?
39 जिला पंचायत सीटें पर होगी सियासी जंग
जिले में इस बार 643 ग्राम पंचायतों पर प्रधान चुने जाएंगे, इसके अलावा क्षेत्र पंचायत सदस्य और 39 जिला पंचायत सदस्यों के लिए चुनाव होने हैं। बड़े पदों पर राजनीतिक दलों ने कमान संभालनी शुरू कर दी है। सपा जिला पंचायत चुनाव में अपने अधिकृत प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है और आरक्षण सूची जारी होने का इंतजार किया जा रहा है, लेकिन आरक्षण तय होने से पहले ही टिकट दावेदारों की भीड़ पार्टी कार्यालय की चौखट पर उमड़ने लगी है।
सबसे दिलचस्प स्थिति यह है कि वे नेता सबसे आगे नजर आ रहे हैं, जिन्होंने पिछले चुनाव में पार्टी प्रत्याशी का पर्चा तक भरने नहीं दिया था। यही वजह है कि टिकट की राजनीति जिले में गरमाई हुई है और पार्टी में अंदर ही अंदर खींचतान शुरू हो चुकी है।
सपा जिलाध्यक्ष का कड़ा रुख: जिन्होंने दगा किया, उनका टिकट नहीं होगा
जिला अध्यक्ष जयवीर सिंह यादव ने इस बार साफ संकेत दे दिए हैं कि टिकट वितरण में पिछले चुनाव का इतिहास निर्णायक भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि मैं जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के दिनों को भूला नहीं हूं। जिन लोगों ने सहयोग नहीं किया था, उनकी रिपोर्ट हाईकमान को भेजूंगा। अपनी कलम से दगा करने वालों को समर्थन दिए जाने की अनुमति कभी नहीं दूंगा। बाकी वह जहां से चाहें टिकट ले आएं। पार्टी के लिए ईमानदारी से काम करने वालों को ही प्रत्याशी बनाया जाएगा।
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