बिहार में शपथग्रहण से पहले प्रशांत किशोर का अटैक, कहा- भ्रष्ट नेता फिर मंत्री बने तो कोर्ट जाएंगे
/file/upload/2025/11/8011894106664430449.webpजनसुराज फाउंडर प्रशांत किशोर। फाइल फोटो
डिजिटल डेस्क, पटना। जन सुराज पार्टी के फाउंडर प्रशांत किशोर ने पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि हमने कुछ नेताओं के बारे में जो बातें पहले कही थीं, वे वैसी ही हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद थी कि सरकार एक्शन लेगी, लेकिन लोगों ने उन्हें फिर से चुना है और उन्हें बहुत बड़ा मैंडेट दिया है। अब यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उन्हें मिनिस्ट्री में शामिल न करें।
प्रशांत ने कहा कि अगर ऐसे नेताओं को फिर शामिल किया जाता है, तो हम लोगों के पास जाएंगे और जरूरत पड़ने पर कोर्ट भी जाएंगे। जिन चार लोगों के बारे में हमने पहले बताया था, अगर वे फिर से मिनिस्टर बनते हैं, तो हम कोर्ट जाएंगे।
सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
उन्होंने कहा कि आजाद भारत में पहली बार, खासकर बिहार में किसी सरकार ने लोगों के लिए 40,000 करोड़ रुपये खर्च करने का वादा किया और इसीलिए NDA को इतनी बड़ी बहुमत मिली।
प्रशांत ने कहा कि लोग कह रहे हैं कि वोटरों ने 10,000 रुपये के लिए अपने वोट बेच दिए। यह सच नहीं है; यहां के लोग अपना या अपने बच्चों का भविष्य नहीं बेचेंगे। इस बहस का कोई अंत नहीं है।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग चुनाव आयोग पर गलत काम करने का आरोप लगा रहे हैं, यह उनका मामला है, लेकिन हर विधानसभा सीट पर कम से कम 60,000-62,000 लोगों को 10,000 रुपये दिए गए और 2 लाख रुपये का लोन देने का वादा किया गया।
सरकारी अधिकारी ड्यूटी पर थे, जो लोगों को बता रहे थे कि अगर NDA सत्ता में वापस आई तो उन्हें लोन मिलेगा और इसके लिए जीविका दीदियों को ड्यूटी पर लगाया गया था।
प्रशांत किशोर ने चुनाव आयोग पर उठाए सवाल
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में \“वोट चोरी\“ कोई मुद्दा नहीं है। असली चिंता सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल है, जिसमें जीविका दीदियों को मोबिलाइजर के तौर पर इस्तेमाल करना शामिल है और मतदान के अंतिम दो घंटों में 15-20% वोट बढ़ने का पैटर्न है, जबकि इलेक्शन कमीशन ने इसकी डिटेल्स शेयर नहीं की हैं।
उन्होंने कहा कि जनसुराज भले ही एक छोटी पार्टी है, लेकिन विपक्ष से रिक्वेस्ट करते हैं कि वे इसे सीरियसली लें और अगर जरूरत हो, तो सुप्रीम कोर्ट जाएं। यह देखने का भी समय है कि क्या मौजूदा मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट काफी है।
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