सीएम योगी आज गोरखपुर में करेंगे आधुनिक फोरेंसिक लैब का उद्घाटन, पुलिस जांच को मिलेगी नई गति
/file/upload/2025/11/5834067785013278549.webpमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। कानून-व्यवस्था और वैज्ञानिक जांच व्यवस्था को नई मजबूती देने की दिशा में मंगलवार (18 नवंबर) को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर को एक महत्वपूर्ण सुविधा समर्पित करेंगे। जिला अस्पताल इमरजेंसी के सामने 72.78 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित उच्चीकृत क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला (अपग्रेडेड आरएफएसएल) का सुबह 11 बजे उद्घाटन करेंगे। अब यह लैब बी श्रेणी से उन्नत होकर ए श्रेणी में परिवर्तित हो गई है।विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
नवनिर्मित छह मंजिला भवन अत्याधुनिक फोरेंसिक तकनीकों से लैस है। अपग्रेड हुए इस परिसर में अब लैपटाप, मोबाइल, सीसी कैमरा फुटेज और अन्य डिजिटल डिवाइस से डाटा रिकवरी की उन्नत सुविधा उपलब्ध होगी। साइबर फोरेंसिक के साथ ही अब यहां वाइस एनालिसिस यानी आवाज की वैज्ञानिक जांच भी संभव हो सकेगी।नई प्रयोगशाला में आग्नेय अस्त्रों की बैलिस्टिक जांच से लेकर विस्फोटक पदार्थों के वैज्ञानिक विश्लेषण तक की यूनिटें स्थापित की गई हैं। इससे न केवल पूर्वांचल बल्कि नेपाल सीमा से जुड़े मामलों में भी जांच की रफ्तार और गुणवत्ता दोनों बढ़ेंगी।
इस परियोजना का निर्माण कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम ने पूर्ण किया है।सोमवार को एडीजी जोन मुथा अशोक जैन,डीएम दीपक मीणा व एसएसपी राजकरन नय्यर ने अपग्रेडेड आरएफएसएल का निरीक्षण कर तैयारी का जायजा लिया।अधिकारियों का कहना है कि नई ए-ग्रेड फोरेंसिक लैब से केस की जांच पहले की तुलना में अधिक तेज, सटीक और वैज्ञानिक हो जाएगी।
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होंगे ये फायदे :
[*]लखनऊ भेजे जाने वाले नमूनों की अब गोरखपुर में ही जांच होगी। इससे पुलिस और न्यायिक प्रक्रिया दोनों की गति कई गुणा बढ़ेगी।
[*]डिजिटल फोरेंसिक लैब में मोबाइल, लैपटाप, सीसी कैमरा फुटेज और अन्य इलेक्ट्रानिक डाटा की रिकवरी आसानी से हो सकेगी। साइबर अपराधों की जांच को सीधा लाभ मिलेगा।
[*]वायस सैंपल की तुलना, वीडियो की तकनीकी जांच, एडिटिंग का पता लगाना,अब सब गोरखपुर में संभव होगा। कई संवेदनशील मामलों में यह जांच बेहद जरूरी होती है।
[*]फायरिंग होने पर गोली की पहचान, फायरिंग की दूरी व दिशा, विस्फोटक सामग्री का विश्लेषण यहीं पर उपकरणों से होगा, जिससे गंभीर मामलों का पर्दाफाश तेजी से हाेगा।
[*]नमूने भेजने, तकनीकी विशेषज्ञों को बुलाने और लंबी प्रतीक्षा से छुटकारा मिलेगा। जांच की गुणवत्ता और दक्षता दोनों बढ़ेंगी। इस प्रक्रिया में होने वाले सरकारी खर्च की बचत होगी।
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