cy520520 Publish time 2025-11-18 03:37:23

दिल्ली में कृत्रिम वर्षा के प्रयासों पर मंडराए संकट के बादल, तीन ट्रायल बाकी और सिर्फ 13 दिन की मंजूरी

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संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। वायु प्रदूषण से जंग में दिल्ली में कृत्रिम वर्षा का प्रयोग आगे भी सफल होता नजर नहीं आ रहा। अनुकूल मौसमी परिस्थिति न मिलने से क्लाउड सीडिंग के और ट्रायल हो ही नहीं पा रहे। जबकि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से मिली दो महीने की अनुमति भी खत्म होने वाली है।

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार और आईआईटी कानपुर के बीच 3.21 करोड़ के बजट का जो अनुबंध हुआ है, उसके तहत दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के पांच ट्रायल किए जाने हैं। दो ट्रायल 28 अक्टूबर को किए गए थे, लेकिन बादलों में नमी काफी कम होने के कारण बहुत सफल नहीं रहे थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इसीलिए अब बचे तीन ट्रायल करने के लिए आईआईटी कानपुर की टीम उपयुक्त बादलों का इंतजार कर रही है। बताया जा रहा है कि जब भी 30 से 50 प्रतिशत तक की नमी वाले बादल मिलेंगे, आईआईटी कानपुर क्लाउड सीडिंग के अगले ट्रायल करेगा।

हालांकि अब अगर मौसम विभाग के पूर्वानुमान पर जाएं तो अगले एक सप्ताह के दौरान बादल छाने की कोई संभावना नहीं लग रही है। माह के 17 दिन बीत ही चुके हैं। अगर यह माह खत्म होने से पहले आंशिक बादल मिल भी गए लेकिन उनमें पर्याप्त नमी नहीं मिली तो मामला फिर लटक जाएगा।

समस्या यह भी है कि डीजीसीए से क्लाउड सीडिंग के लिए मिली दो महीने की अनुमति 30 नवंबर को खत्म हो जाएगी। ऐसे में दोबारा से इसके लिए अनुमति लेनी होगी। जबकि दिसंबर और जनवरी माह में कोहरे से जो दृश्यता का स्तर प्रभावित होता है, उसके मद्देनजर यह अनुमति मिलने में अड़चन भी आ सकती है।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि आईआईटी दिल्ली सहित ज्यादातर पर्यावरणविद प्रदूषण से जंग में कृत्रिम वर्षा के उपाय को पहले ही सिरे से खारिज कर चुके हैं। उनका कहना है कि सर्दियों के माह में दिल्ली की जलवायु क्लाउड सीडिंग के लिए बिल्कुल भी उपयुक्त नहीं है।

वजह, इस दौरान बादलों में नमी कम रहती है। खासतौर पर सबसे अधिक प्रदूषण वाले महीनों दिसंबर एवं जनवरी में क्लाउड सीडिंग सफल होने की संभावना और भी कम रहती है। ऐसे में क्लाउड सीडिंग के लिए पश्चिमी विक्षोभ की जरूरत होगी। सर्दियों में बादल इसी से बन पाते हैं।

लेकिन अच्छे बादलों वाले दिनों में भी क्लाउड सीडिंग के लिए उनमें पर्याप्त नमी नहीं होती। कहने का मतलब यह कि मजबूत पश्चिमी विक्षोभ के दिनों में भी क्लाउड सीडिंग के जरिये अच्छी वर्षा होने की प्रबल संभावना नहीं होती।



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