cy520520 Publish time 2025-11-17 08:36:25

छोटी सी गलती के कारण निर्दोष को काटनी पड़ी जेल, हाईकोर्ट ने कलेक्टर पर लगाया दो लाख का जुर्माना

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शहडोल: लिपिकीय त्रुटि से युवक एक साल तक जेल में।



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक लिपिकीय त्रुटि के कारण मध्य प्रदेश के शहडोल निवासी 26 वर्षीय सुशांत बैस को एक साल से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा। उन्हें पिछले वर्ष चार सितंबर 2024 को गिरफ्तार किया गया था और इस वर्ष नौ सितंबर को हाई कोर्ट द्वारा रिहाई के आदेश के बाद जेल से रिहा कर दिया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

दरअसल, शहडोल के जिला कलेक्टर केदार सिंह ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत एक गिरफ्तारी का आदेश जारी किया था, जिसमें वास्तविक आरोपित नीरजकांत द्विवेदी की जगह सुशांत का नाम लिख दिया गया।
बाद में दिया गया ये तर्क

बाद में तर्क दिया गया कि लिपिकीय त्रुटि की वजह से ऐसा हो गया। इसको गंभीरता से लेते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने शहडोल के कलेक्टर केदार सिंह को अवमानना का नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही पीड़ित सुशांत के लिए दो लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी।
कार्रवाई के खिलाफ पीड़ित ने किया उच्च न्यायालय का रुख

कार्रवाई के खिलाफ सुशांत के पिता कृषक हीरामनी वैश्य की तरफ से जबलपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति अवनींद्र कुमार सिंह की युगलपीठ ने इसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए इस मामले को दिमाग का इस्तेमाल न करने वाला बताया और राज्य सरकार की भी खिचाई की। कहा कि सरकार ने गिरफ्तारी के आदेश को मंजूरी देने से पहले उसकी ठीक से जांच नहीं की।

अधिवक्ता रवींद्र गुप्ता के मुताबिक, आर्डर अपलोड होने के बाद जुर्माने का बिंदु स्पष्ट होगा। इस मामले में ओपन कोर्ट की प्रोसीडिंग के आधार पर मीडिया कवरेज हुई है। तथ्य यह है कि अब तक हाई कोर्ट की वेबसाइट पर डब्ल्यूपी/14004/2025 का आर्डर अपलोड नहीं हुआ है। अत: जुर्माने की वस्तुस्थिति यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद स्पष्ट होगी।
पीडि़त बोले- जिम्मेदारों को भी जेल में रहना चाहिए

26 वर्षीय पीडि़त सुशांत बैस का कहना है कि रेत ठेका कंपनी सहकार ग्लोबल के प्रभाव में उनके खिलाफ एनएसए की कार्रवाई की गई है। एक साल चार दिन जेल में रहने की मानसिक पीड़ा के बदले दो लाख रुपये मुआवजा से भरपाई नहीं हो सकती, इसलिए इस मामले में कलेक्टर के साथ एसपी को भी सजा मिलनी चाहिए। सुशांत का कहना है कि उनके पिता ने काफी संघर्ष करके मामले की कानूनी लड़ाई लड़ी है।

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