जेफरी एपस्टीन ने इस देश में पुलिस राज्य स्थापित करने में इजरायल की कैसे मदद की? लीक ईमेल्स से बड़ा खुलासा
/file/upload/2025/11/112668501404611596.webpएप्स्टीन और बराक की संदिग्ध भूमिका इजरायल-आईवॉर समझौता (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वेस्ट अफ्रीका का देश कोट द आईवॉर 2010-11 में बड़े राजनीतिक संकट से गुजर रहा था। चुनाव के बाद हिंसा भड़क गई थी, संयुक्त राष्ट्र ने अलासाने औत्तारा को विजेता घोषित किया, लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति लॉरेंट गबाग्बो ने सत्ता छोड़ने से इनकार कर दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
2010 में फ्रांस और UN के हस्तक्षेप के बाद गबाग्बो को हटाया गया। इसके बीच इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री और डिफेंस मिलिस्टर एहुद बराक और कुख्यात फाइनेंसर जेफ्री एप्स्टीन इस अस्थिर स्थिति को एक व्यापारिक अवसर के रूप में देखने लगे।
क्या था मुख्य विषय
2012 में जब औत्तारा ने एक तख्तापलट की कोशिश नाकाम की, उसके कुछ दिन बाद वह येरूशलम में बराक और इजरायली PM बेंजामिन नेतन्याहू से मिले। बातचीत में आतंकाद-रोधी सहयोग मुख्य विषय रहा। इसके बाद एक इजरायली टीम कोट द आईवॉक भेजी गई, जिसने सुरक्षा सुधार और सेना के पुनर्निमाण पर सलाह दी।
उसी समय बराक जो सेवानिवृत्ति की बात कर रहे थे, दुनिया के संकटग्रस्त देशों को निजी सुरक्षा सेवाएं बेचने लगे। एप्स्टीन ईमेल के माध्यम से उनकी मदद कर रहा था। एक ईमेल में एप्स्टीन ने लिखा, “देशों में बढ़ते दंगों र सत्ता में बैठे लोगों की बेचैनी, यह समय बिल्कुल सही है।“ बराक ने जवाब दिया, “तुम सही हो, लेकिन इसे पैसा बनाने में बदलना आसान नहीं है।“
लीक ईमेल्स में क्या मिला
लीक ईमेल्स और अमेरिकी हाउस ओवरसाइट कमेटी के दस्तावेज बताते हैं कि 2012 में जब बराक अभी इजरायल के डिफेंस मिनिस्टर थे, एप्स्टीन अफ्रीका में इजरायली इंटेलिजेंस ऑपरेशनों में शामिल था। एप्स्टीन ने कोट द आईवॉर में फोन और इंटरनेट निगरानी सिस्टम की योजना पेश करने में मदद की, जिसे पूर्व इजरायली खुफिया अधिकारियों ने तैयार किया था। बाद में यही निजी व्यवस्था 2014 में इजरायल-कोट द आईवॉर सुरक्षा समझौते का आधार बनी।
18 जून 2012 को जिस दिन बराक ने औत्तारा से मुलाकात की, उसी दिन औत्तारा के बेटे ने न्यूयॉर्क में एप्स्टीन से मुलाकात की। तीन महीने बाद एप्स्टीन ने औत्तारा की भतीजी नीना केइता से मुलाकात की और फिर बराक से न्यूयॉर्क के रीजेंसी होटल में निजी बैठक की। इसके बाद एप्स्टीन अफ्रीका गया, जिसमें कोट द आईवॉर, अंगोला और सेनेगल की यात्रा शामिल थी।
बराक का सीधा दखल
मार्च 2013 में पद छोड़ने के बाद भी बराक यह डील आगे बढ़ाते रहे। 19 मार्च को उन्हें एक ईमेल मिला जिसमें अबिदजान में निगरानी और वीडियो मॉनिटरिंग सेंटर का प्रस्ताव था। बातचीत को गुप्त रखने के लिए संदेशों में कोड-वर्ड्स का इस्तेमाल किया गया।
UN की एक रिपोर्ट में इजरायली मूल के कारतूसों का जिक्र आने से कुछ समय के लिए बातचीत रुकी, लेकिन बराक ने तुरंत इजरायली सुरक्षा जगत की प्रमुख हस्तियों- अमोस मल्का, मिकी फेडरमनऔर औत्तारा के चीफ ऑफ स्टाफ सिदी टियेमोको तौरे से संपर्क बढ़ाया।
असली सुरक्षा एजेंडा
1 अगस्त 2013 को बराक एक \“गैर-सुरक्षा\“ बहानेहॉस्पिटल प्रोजेक्टके नाम पर अबिदजान पहुंचे और वहां औत्तारा समेत शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की। 16 सितंबर को बराक को 13-पन्नों का SIGINT (सिग्नल इंटेलिजेंस) प्रस्ताव भेजा गया, जिसे इजरायल की यूनिट 8200 के पूर्व प्रमुख अहारोन जेएवी-फार्काश ने तैयार किया था। इसमें लिखा था कि यह दस्तावेज उनके और उनके सहयोगी के सेवा अनुभव पर आधारित है और \“ज्ञान निर्यात\“ नियमों के अनुरूप है। इसके बाद कई और मुलाकातों का समन्वय एप्स्टीन के माध्यम से न्यूयॉर्क में हुआ।
सुरक्षा समझौते पर मुहर
2014 के मध्य में UN प्रतिबंध हटे और उसी वर्ष इजरायल और कोट द आईवॉर के बीच आधिकारिक रक्षा और आंतरिक सुरक्षा समझौता पर हस्ताक्षर हुए। दस्तावेजों में यह भी सामने आया कि बराक के लंबे समय से सहयोगी और पूर्व खुफिया अधिकारी योनी कोरेन 2013-15 के दौरान कई बार एप्स्टीन के मैनहैटन घर में रुके, और इजरायली सुरक्षा संस्थानों के साथ बराक के अनौपचारिक संपर्क बनाए रखते रहे।
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