Chikheang Publish time 2025-11-16 12:06:31

गाजियाबाद में आधी रह गई बिजली की खपत, फिर भी नहीं रुक रही कटौती

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जागरण संवाददाता, साहिबाबाद। सर्दी शुरू होने के साथ ही जिले में बिजली की खपत आधी रह गई है। रोजाना करीब 900 से एक हजार मेगावाट के बीच बिजली की खपत हो रही है। इसके बाद भी लोगों को बिजली कटौती से जूझ रहे हैं। शिकायत करने पर अधिकारी फाल्ट बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं।
इस वर्ष गर्मी के सीजन में बिजली की खपत 1900 मेगावाट तक पहुंच गई थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

विभिन्न क्षेत्रों में ओवरलोड की समस्या के कारण कटौती भी अंधाधुंध हो रही थी। कहीं ट्रांसफार्मर फुंकने तो कहीं फाल्ट के कारण बिजली कट रही थी। अधिकारी इसका कारण ओवरलोडिंग को मान रहे थे। अब बिजली की खपत गर्मी के सीजन के मुकाबले आधी रह गई है।

बिजली की खपत में गिरावट जरूर आई है, लेकिन लोगों को कटौती से राहत नहीं मिल रही है। विद्युत पारेषण के अधिकारी बिजली कटौती का कारण डिस्ट्रब्यूशन (वितरण) के इंफ्रास्ट्रक्चर को मान रहे हैं। उनका कहना है कि अगर वितरण का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत व बैलेंसिंग वाला होगा तो कटौती नहीं होगी। बिजली कटौती का कारण वितरण स्तर पर होने वाले फाल्ट हैं।
जरूरत से अधिक क्षमता होने का दावा

ट्रांसमिमशन के अधिकारियों का दावा है कि उनकी 3338 एमवीए (मेगा वोल्ट एंपीयर) की क्षमता है। अब जितनी बिजली की खपत हो रही है वह इसके तिहाई से भी कम है। इसीलिए पारेषण के स्तर से कटौती की कोई समस्या नहीं है।
बीते एक सप्ताह में बिजली की खपत

[*]14 नवंबर 932
[*]13 नवंबर 1002
[*]12 नवंबर 980
[*]11 नवंबर 997
[*]10 नवंबर 960
[*]नौ नवंबर 1012
[*]आठ नवंबर 998


(नोट : बिजली खपत मेगावाट में है।)






शहर में रहकर भी गांवों की तरह बिजली मिलती है। शिकायत के बाद भी विद्युत निगम के अधिकारी समाधान नहीं करते। सबसे ज्यादा कटौती फाल्ट के कारण होती है।



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-हरिकिशन, उपभोक्ता


ज्यादातर इलाकों में निर्बाध आपूर्ति करना प्राथमिकता में शामिल है। फाल्ट व तकनीकी कारणों से ही कटौती होती है। इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं में कार्य किया जा रहा है।



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-पवन अग्रवाल, कार्यकारी मुख्य अभियंता, विद्युत निगम जोन-तीन


सीएम योगी आदित्यनाथ लगातार निर्बाध आपूर्ति करने के आदेश दे रहे हैं। इसके बाद भी स्थानीय अधिकारी आपूर्ति करने में फेल साबित हो रहे हैं। बहुत सुधार की जरूरत है।



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-अमित प्रकाश, उपभोक्ता
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