कॉप-30 में भारत ने विकसित देशों को याद दिलाई जिम्मेदारी, कई मुद्दों पर की आलोचना
/file/upload/2025/11/1299820027574337416.webpपीटीआई, नई दिल्ली। भारत ने जलवायु फंडिंग दायित्वों को पूरा करने में विफल रहने के लिए शनिवार को विकसित देशों की आलोचना की और चेताया कि विकासशील देश पारदर्शी और विश्वसनीय वित्तीय सहायता के बिना अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा नहीं कर सकते। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ब्राजील के बेलम में आयोजित कांफ्रेंस आफ पार्टीज (कॉप-30) में जलवायु फंडिंग पर तीसरे उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय संवाद में समान विचारधारा वाले विकासशील देशों (एलएमडीसी) की ओर से भारतीय वार्ताकार सुमन चंद्रा ने कहा, विकसित देशों से वित्तीय संसाधनों के बिना, विकासशील देश एनडीसी (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान) के लक्ष्य को पूरा नहीं कर सकते।
एनडीसी पेरिस समझौते के तहत राष्ट्रीय जलवायु योजनाएं हैं, जो उत्सर्जन में कटौती करने और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने के लक्ष्य निर्धारित करती हैं। पेरिस समझौते ने विकसित देशों के लिए विकासशील देशों को जलवायु फंडिंग करने के लिए स्पष्ट कानूनी जिम्मेदारियां दी हैं।
चंद्रा ने कहा, अनुच्छेद 9.1 के तहत वित्त के प्रविधान विकसित देशों का कानूनी दायित्व है। अनुच्छेद 9.3 के तहत विकसित देशों को फंडिंग जुटाने में अग्रणी भूमिका निभानी होगी। विकसित देशों ने इन दायित्वों का सम्मान नहीं किया है।
भारत ने पिछले साल बाकू में कॉप-29 में अपनाए गए नए कलेक्टिव क्वांटिफाइड गोल (एनसीक्यूजी) या नए वैश्विक वित्त लक्ष्य की फिर से आलोचना की। एनसीक्यूजी में विकसित देशों की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिबद्धता नहीं जताया गया है, जिससे विकासशील देशों के लिए एनडीसी को पूरा करना असंभव हो गया है।
विशेषज्ञ ने चेताया
रेयर अर्थ पर चीन का एकाधिकार जलवायु परिवर्तन के लिए खतराएएनआइ के अनुसार रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ जगन्नाथ पांडा ने चेतावनी दी है कि रेयर अर्थ पर चीन का एकाधिकार जलवायु परिवर्तन के लिए खतरा है। तुर्किये टुडे में प्रकाशित लेख में पांडा ने कहा कि नवीकरणीय प्रौद्योगिकियों के लिए आवश्यक रेयर अर्थ, लिथियम, तांबा और अन्य खनिज चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के राजनीतिक उपकरण बन गए हैं।
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