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गढ़मुक्तेश्वर में अनाज व्यापार से धूल का कहर, लोगों का जीना हुआ दूभर

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गढ़मुक्तेश्वर की जवाहर गंज मंडी में अनाज का व्यापार होने से लोगों को परेशानी हो रही है।



जागरण संवाददाता, गढ़मुक्तेश्वर। करोड़ों रुपये की लागत से बनी मंडी में जगह की कमी के कारण अनाज से जुड़ा व्यापार आज भी पुरानी जवाहर गंज मंडी में होता है। यहां प्रतिदिन हजारों क्विंटल अनाज की खरीद-फरोख्त होती है। आबादी वाले क्षेत्र में अनाज की खरीद-फरोख्त और सफाई होने से आसपास रहने वाले लोगों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

गढ़मुक्तेश्वर की जवाहर गंज मंडी धान खरीद के मामले में मंडल में प्रथम स्थान पर है। इस मंडी में मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल और बिजनौर के किसान और व्यापारी धान खरीदने-बेचने आते हैं। यहां हर सीजन में लगभग 30 हजार क्विंटल धान का व्यापार कागजों के आधार पर होता है, जबकि 90 फीसदी किसानों की उपज कच्ची रसीदों पर खरीदी जाती है।

धान की आवक का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। इस बीच कई व्यापारी धान का भंडारण कर लेते हैं और बाद में उसे उचित दामों पर बेच देते हैं। ये व्यापारी धान की सफाई के लिए ट्रैक्टर चालित मशीनों का इस्तेमाल करते हैं। इसके चलते सितंबर से दिसंबर तक धान के खेतों से धूल के बादल यहाँ छाए रहते हैं।

धान की यह व्यापारिक गतिविधि जवाहर मंडी के साथ-साथ गढ़-मेरठ रोड, गढ़-दिल्ली रोड और रेलवे स्टेशन रोड पर भी होती है। धूल के कारण निवासियों और इलाके से गुजरने वालों को काफी परेशानी होती है। निवासियों का कहना है कि धूल के कारण घरों में रहना मुश्किल हो जाता है, फिर भी प्रशासन इस गंभीर समस्या की अनदेखी करता है। सबसे ज़्यादा असर सांस की बीमारियों से जूझ रहे लोगों पर पड़ता है।

एसडीएम श्रीराम यादव ने कहा कि इतनी घनी आबादी वाले इलाके में मशीनों से धूल नहीं उड़ने दी जा सकती। मामले की जाँच कर उचित कार्रवाई की जाएगी। यह काम आबादी वाले इलाकों से दूर किया जाना चाहिए ताकि स्वास्थ्य पर कोई बुरा असर न पड़े।
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