आध्यात्मिक वक्ता जया किशोरी ने कहा, जब इंसान को भगवान का दर्जा देने लगते हैं तो शुरू होता है अंधविश्वास
/file/upload/2025/11/9103123782774863158.webpडालनवाला स्थित दून इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल में मोटीवेशनल स्पीकर जया किशोरी। जागरण
जागरण संवाददाता, देहरादून: आध्यात्मिक वक्ता जया किशोरी ने देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान एक सत्र में कहा कि जब हम इंसान को भगवान का दर्जा देने लगते हैं, तो अंधविश्वास की शुरुआत होती है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि सफलता का मापदंड व्यक्ति को स्वयं तय करना चाहिए, न कि किसी और को। सफलता हासिल करने के लिए किसी के हक को मारना या गलत रास्ता अपनाना उचित नहीं है। सच्ची सफलता वही है, जो मेहनत से प्राप्त की जाए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
\“लिविंग द इट्स ओके पाठ स्पिरिचुअल ब्रेथ इन एवरीडे लाइफ\“ विषय पर बोलते हुए, जया किशोरी ने बताया कि उन्होंने अपनी पुस्तक लिखने का विचार इसलिए किया क्योंकि बच्चों में \“चिल\“ और \“इट्स ओके\“ का भाव अधिक देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि बदलाव का अर्थ विकास है, और जो लोग बदलाव को स्वीकार नहीं करते, वे आगे नहीं बढ़ पाते।
जया किशोरी ने प्यार के अर्थ पर भी प्रकाश डाला, यह बताते हुए कि प्यार केवल पार्टनर तक सीमित नहीं है। माता-पिता की खुशी में भी सच्चा प्यार छिपा होता है। उन्होंने निस्वार्थ प्रेम को सबसे महत्वपूर्ण बताया और कहा कि आज के रिश्तों में समझदारी बढ़ी है।
अंत में, जया किशोरी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यदि उन्होंने अपने समय में बदलाव नहीं किया होता, तो आज वे इस मंच पर नहीं होतीं।
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