LHC0088 Publish time The day before yesterday 22:37

पतंजलि के विज्ञापन में इस्तेमाल एक शब्द पर भड़का दिल्ली HC, पूछा- क्या डिक्शनरी में कोई और वर्ड नहीं बचा ?

/file/upload/2025/11/6432180291358713935.webp



जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद से उसके उस टीवी विज्ञापन पर सवाल किया, जिसमें उसने अपने अलावा बाकी सभी च्यवनप्राश उत्पादों को धोखा कहा है। न्यायमूर्ति तेजस कारिया ने पतंजलि को फटकार लगाते हुए टिप्पणी की कि कोई भी कंपनी अपने उत्पाद को सर्वश्रेष्ठ बता सकती है, लेकिन वह यह नहीं कह सकती कि बाकी सभी उत्पाद धोखा हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कोर्ट ने कहा कि आप निम्न गुणवत्ता कह सकते हैं, पर धोखा शब्द कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं। यह नकारात्मक और अपमानजनक शब्द है। आप कह रहे हैं कि बाकी सब धोखा हैं और सिर्फ आप ही असली हैं। क्या शब्दकोश में इसके अलावा कोई और शब्द नहीं बचा। अदालत ने स्पष्ट किया कि विज्ञापन में प्रयुक्त भाषा पूरे च्यवनप्राश वर्ग को अपराधी दिखाने वाली है, जो स्वीकार्य नहीं है।

अदालत ने इस मामले में डाबर इंडिया लिमिटेड द्वारा दाखिल अंतरिम निषेधाज्ञा याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया। डाबर ने पतंजलि आयुर्वेद के नए विज्ञापन पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की है। डाबर का आरोप है कि विज्ञापन में अन्य सभी च्यवनप्राश ब्रांडों को धोखा बताकर उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया गया है।

डाबर ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि हालिया टीवी विज्ञापन में बाबा रामदेव यह कहते दिखते हैं कि अधिकांश लोग च्यवनप्राश के नाम पर ठगे जा रहे हैं और अन्य सभी ब्रांड धोखा हैं। विज्ञापन में पतंजलि विशेष च्यवनप्राश को ही असली और सच्चे आयुर्वेद की शक्ति देने वाला बताया गया है।

डाबर का कहना है कि इस तरह का संदेश पूरे च्यवनप्राश उद्योग का सामूहिक अपमान है और इससे उपभोक्ताओं में अविश्वास फैलता है। कंपनी ने कहा कि उसका च्यवनप्राश वर्ष 1949 से बाजार में है और लगभग 61 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है, ऐसे में यह विज्ञापन उसके ब्रांड को जानबूझकर बदनाम करता है।

डाबर इंडिया ने पतंजलि के 25 सेकंड के टीवी विज्ञापन 51 जड़ी-बूटियां, 1 सच - पतंजलि च्यवनप्राश को चुनौती दी थी। विज्ञापन में एक महिला पात्र बच्चे को च्यवनप्राश खिलाते हुए कहती है चलो धोखा खाओ, जिसके बाद योग गुरु बाबा रामदेव कहते हैं अधिकांश लोग च्यवनप्राश के नाम पर धोखा खा रहे हैं।

डाबर की ओर से वरिष्ठ वकील संदीप सेठी ने तर्क दिया कि च्यवनप्राश एक आयुर्वेदिक औषधि है जो ड्रग्स एंड काॅस्मेटिक्स एक्ट के तहत निर्धारित शास्त्रों और संघटक नियमों के अनुसार बनाई जाती है, और इस प्रकार सभी उत्पाद लाइसेंसशुदा हैं। ऐसे में सभी निर्माताओं को धोखा कहना पूरे उद्योग का अपमान है।

पतंजलि की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव नायर ने बचाव में तर्क दिया कि यह विज्ञापन उनके पिछले प्रचार का विस्तार है और धोखा शब्द का प्रयोग केवल यह दिखाने के लिए किया गया कि पतंजलि का च्यवनप्राश सबसे बेहतर है, बाकी साधारण हैं। उन्होंने दलील दी कि कि पूरे विज्ञापन के संदेश को समग्रता में देखना चाहिए और इसे शाब्दिक सत्य के रूप में नहीं पढ़ा जाना चाहिए।

यह भी पढ़ें- पुलिस को दो सप्ताह तक रोज जानना होगा DUSU के पूर्व अध्यक्ष रौनक खत्री का हाल, दिल्ली HC का आदेश
Pages: [1]
View full version: पतंजलि के विज्ञापन में इस्तेमाल एक शब्द पर भड़का दिल्ली HC, पूछा- क्या डिक्शनरी में कोई और वर्ड नहीं बचा ?