Voting time in bihar: गोद में ममता, हाथ में मत, मातृत्व के संग लोकतंत्र का उत्सव
/file/upload/2025/11/5581161529562782104.webpबच्चों को गोद में लेकर मतदान के लिए लाइन में खड़ी मां और अन्य
जागरण संवाददाता, पटना। लोकतंत्र का महापर्व केवल वोट डालने तक सीमित नहीं है। जिले के मतदान केंद्रों पर ऐसी कई तस्वीरें देखने को मिलीं, जिन्होंने न केवल लोकतांत्रिक जिम्मेदारी बल्कि मातृत्व की संवेदनशीलता को भी बखूबी दर्शाया।
कई मतदानकर्मी और पुलिसकर्मी अपने दुधमुंहे बच्चों को गोद में लेकर ड्यूटी पर पहुंचीं और मतदान सुनिश्चित करने में जुट गईं। सुबह से ही कई मतदान केंद्रों पर यह दृश्य आम था।
महिला मतदानकर्मी अपने छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लेकर आई थीं। बच्चे अपने माता-पिता की गोद में सुरक्षित महसूस कर रहे थे, तो वहीं मां-बेटे के बीच का यह कोमल बंधन लोकतंत्र की गरिमा के साथ मिलकर एक प्रेरक छवि पेश कर रहा था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
महिला मतदानकर्मी ने बताया कि बच्चे को घर पर अकेला नहीं छोड़ सकती थी, इसलिए उसे साथ ले आई। ड्यूटी करते हुए भी उसका ध्यान रखूंगी।
लोकतंत्र की जिम्मेदारी निभाना हमारी प्राथमिकता है और बच्चे का साथ होना इसे और भी खास बना देता है। दूसरी ने कहा कि यह हमारे लिए यह गर्व की बात है कि हम अपने परिवार और लोकतंत्र दोनों के लिए जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
बच्चे को गोद में लेकर भी ड्यूटी करना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन यह अनुभव बहुत भावपूर्ण है। इस दौरान बच्चों की नन्हीं मुस्कान और उनके माता-पिता की ड्यूटी के प्रति निष्ठा ने यह साबित कर दिया कि लोकतंत्र का पर्व केवल मतदाता तक सीमित नहीं है, बल्कि उसे बनाने वाले हर व्यक्ति की सहभागिता से पूरा होता है।
मतदान केंद्रों पर यह दृश्य यह संदेश भी दे रहा है कि मातृत्व और जिम्मेदारी का मेल ही लोकतंत्र को मजबूत बनाता है। छोटे-छोटे कदम, चाहे बच्चे की गोद में ड्यूटी करना हो या मतदान में सहभागिता, हर कदम लोकतंत्र को सार्थक बनाता है।
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