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कुमाता ने नवजात को गंगा मां के रेत में फेंका, बेरियाघाट मेला में पड़ी मिली बच्ची

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जागरण संवाददाता, हरदोई। मां... बेटियों को तो मेला दिखाने के लिए लेकर आते हैं। जब आप हमें गोद में लेकर चलीं तो एक बार लगा कि शायद मां, मुझे गोद में लेकर गंगा स्नान करना चाहती हैं। मन सी मन मैं भी खुश थीं कि मुझे कितनी अच्छी माता मिली है, पर आर ऐसी निर्दयी कुमाता होंगी इसका तो अहसास भी नहीं था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

गंगा मां की गोद में उनके रेत में लिटाकर आप हमें छोड़कर चली गईं। मैंने तो अभी जन्म ही लिया था फिर मुझसे ऐसी कौन सी गलती हो गई, तो आपने इसकी मुझे सजा दी। आप ने मुझे बेटी होने की सजा दी, पर मारने वाले से ज्यादा बचाने वाला बड़ा होता है।

हो सकता है कि कि मैं किसी बड़े घर की रोशनी बनकर आसमान में उड़ान भरूं। बेरियाघाट पर गंगा के रेत में मिली नवजात बच्ची के भावों को अगर शब्द मिलें तो शायद वह यही कह रही होगी। पुलिस ने बच्ची का सीएचसी पर उपचार कराया और फिर एक समाजसेवी युवक को सौंप दिया।

बेरियाघाट पर मेला लगा है। कार्तिक पूर्णिमा के चलते घाट पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ थी। मंगलवार रात किसी ने नवजात बच्ची को एक कपड़े में लपेट कर गंगा के रेत में फेंक दिया। रेत में कपड़े में लिपटी बच्ची पर श्रद्धालुओं की नजर पड़ी। मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ लग गई। जिसने भी बच्ची को देखा वह निर्दयी मां को कोसता रहा।

सूचना पर पहुंची पुलिस ने एंबुलेंस से सीएचसी में भर्ती कराया। बच्ची की हालत में सुधार होने पर पुलिस ने कछौना के ग्राम पहराकला के मंजेश के सिपुर्द कर दिया।

प्रभारी निरीक्षक शिवाकांत पांडेय ने बताया कि बच्ची को युवक की स्वेच्छा से उसके सिपुर्द किया गया है। बच्ची की मां की तलाश की जा रही है। अगर मां का पता नहीं चलता है तो युवक अगर बच्ची को अपनाएगा तो नियमानुसार उसे बच्ची दे दी जाएगी।
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