deltin33 Publish time 5 day(s) ago

ई-चालान पर सख्ती की तैयारी, एक गलती पर डिफॉल्टर हो जाएगा वाहन; क्या है सरकार का प्लान?

/file/upload/2025/11/3312847000897557372.webp

ई-चालान: यातायात नियमों के उल्लंघन पर सख्ती की तैयारी। (फाइल फोटो)



जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। सुरक्षित सफर के लिए आवश्यक है कि वाहन चालक यातायात नियमों का पालन करें। उल्लंघन करने पर पारदर्शी तरीके से उन्हें दंडित किया जाए, इसके लिए ही ई-चालान की व्यवस्था वर्षों पहले शुरू कर दी गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

अलग-अलग राज्य ई-चालान करने और उसके निपटारे के लिए अपने-अपने तरीके अपना रहे हैं, लेकिन एनफोर्समेंट (प्रवर्तन) कितना प्रभावी है, उसे इस आंकड़े से ही समझ सकते हैं कि 31 मार्च, 2025 तक सिर्फ 38 प्रतिशत ई-चालान ही निस्तारित हो सके।
टाइम पर करना होगा ई-चालान का निस्तारण

निश्चित ही यह वर्तमान प्रवर्तन व्यवस्था के प्रति वाहन चालकों की निश्चितंता का संकेत है। इसे देखते हुए ही केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ई-चालान जारी करने और उनके निस्तारण के ईको-सिस्टम को मजबूत करने की ठोस कार्ययोजना बनाई है। उसमें बहुत महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि जिस वाहन के ई-चालान का निस्तारण निश्चित समयावधि में नहीं कराया जाएगा, वह वाहन एकीकृत पोर्टल पर डिफाल्टर के रूप में दर्ज हो जाएगा।
सभी राज्यों ई-चालान के लिए बनाई जाए सामान प्रक्रिया

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा ई-एनफोर्समेंट पर जारी एसओपी में ई-चालान की व्यवस्था को भी प्रमुखता से रेखांकित किया गया है। सरकार का मानना है कि सभी राज्यों में एक समान प्रक्रिया अपनाने की आवश्यकता है। इस उद्देश्य के लिए सभी राज्यों और जिलों को इलेक्ट्रानिक डिटेल्ड एक्सीडेंट रिकार्ड का एक्सेस दिया जाएगा।
नए एसओपी में कही गई ये बातें

एसओपी में कहा गया है कि पुलिस अधिकारी, परिवहन अधिकारी, या राज्य सरकार द्वारा कानून के तहत अधिकृत अन्य अधिकारी शरीर पर पहनने योग्य (बाडी कैमरा) कैमरे लगा सकते हैं। उन्हें यातायात नियम उल्लंघन करने वाले को सूचित करना होगा कि उनकी रिकार्डिंग बाडी कैमरे से की जा रही है। इसी प्रकार पुलिस वाहनों या अन्य अधिकृत वाहनों पर डैशबोर्ड कैमरे लगाए जा सकते हैं।

ये उपकरण घटना की कार्यवाही को रिकॉर्ड करेंगे, जो अदालत में चालकों के खिलाफ संभावित सुबूत के रूप में काम करेंगे। ये यह भी सुनिश्चित करेंगे कि कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने व्यक्तियों को दंडित करते समय कानूनी प्रविधानों का पालन किया है। स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) सिस्टम को नामित अधिकारियों या कर्मियों के लिए उपलब्ध उपकरणों या उपकरणों में इंटीग्रेट किया जाना चाहिए। नामित अधिकारियों या कर्मियों के लिए उपलब्ध उपकरणों को अपडेटेड डाटाबेस से जोड़ना होगा।
पोर्टल पर दिखेगी ई-चालान की स्थिति

कार्ययोजना बनाई गई है कि प्रत्येक पीओएस या हैंड-हेल्ड डिवाइस में एक पोर्टेबल प्रिंटर लगा होगा, ताकि तुरंत मौके पर ही ई-चालान जारी किया जा सके। पीओएस या हैंड-हेल्ड डिवाइस में एक अंतर्निर्मित कैमरा होना चाहिए, जो उल्लंघनकर्ता की उच्च-रिजाल्यूशन वाली तस्वीरें, उनके वाहन की लाइसेंस प्लेट, पंजीकरण संख्या और एक भौगोलिक टैग रिकार्ड करे।

रिकार्डिंग और निगरानी को भी मजबूत करने की आवश्यकता बताई गई है। कहा गया है कि ई-चालान की निगरानी केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर एक डैशबोर्ड के माध्यम से की जानी चाहिए, ताकि चालान जारी करने और उनकी वसूली पर नजर रखी जा सके। डाटाबेस में जारी किए गए चालानों की समय-सीमा शामिल होनी चाहिए और इन चालानों की वसूली के लिए आटोमैटिक रिमाइंडर भेजे जाने चाहिए।

ई-चालान की जानकारी वाहन के साथ दर्ज पते पर भौतिक रूप से सूचना देने की स्थिति में घटना के 15 दिनों के भीतर और इलेक्ट्रानिक रूप से सूचना देने की स्थिति में घटना के तीन दिनों के भीतर भेजी जानी चाहिए। जारी किए गए चालानों की जानकारी पोर्टल पर क्रम में ठीक से दर्ज की जाएगी, ताकि प्रवर्तन अधिकारी नियमित रूप से इसे देख सकें।

उल्लंघनकर्ताओं को चालान नोटिस जारी होने के 45 दिनों के भीतर उसे स्वीकार करके उसका भुगतान करना होगा या केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 167 के उप-नियम (5) के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा स्थापित शिकायत निवारण प्राधिकरण के समक्ष दस्तावेजी साक्ष्य के साथ पोर्टल पर उसका विरोध करना होगा। यदि कोई व्यक्ति जारी होने की तिथि से 45 दिनों की इस अवधि के भीतर शिकायत निवारण प्राधिकरण के समक्ष चालान का विरोध नहीं करता है तो चालान को स्वीकार किया हुआ माना जाएगा।

निश्चित अवधि में ई-चालान का भुगतान नहीं किया जाता है तो ऐसे मामलों में चालान नोटिस में उल्लिखित अपराधी के ड्राइविंग लाइसेंस या वाहन के पंजीकरण से संबंधित किसी भी उद्देश्य के लिए कोई भी आवेदन, लाइसेंसिंग या पंजीकरण प्राधिकारी द्वारा नहीं किया जाएगा। मोटर वाहन के टैक्स से संबंधित आवेदन को छोड़कर अन्य प्रक्रियों के लिए ऐसे वाहन को पोर्टल पर लेन-देन नहीं किया जाना है यानी डिफाल्टर के रूप में चिह्नित किया जाएगा, जो कि निस्तारण होने तक बना रहेगा। राज्य सरकारें बकाया जुर्माने या दंड की वसूली के लिए एक योजना तैयार करेंगी और उसे अधिसूचित करेंगी।
Pages: [1]
View full version: ई-चालान पर सख्ती की तैयारी, एक गलती पर डिफॉल्टर हो जाएगा वाहन; क्या है सरकार का प्लान?