दिल्ली-NCR को जहरीली हवा से राहत मिले भी तो कैसे ? Pollution Control के नाम पर सिर्फ फॉरवर्ड हो रहीं शिकायतें
/file/upload/2025/11/925216447982752032.webpसंजीव गुप्ता, नई दिल्ली। जहरीली हवा से जूझ रहे दिल्ली-एनसीआर के लोगों को राहत मिले भी तो कैसे, प्रदूषण से जंग में सरकारी एजेंसियाें-विभागों की हीलाहवाली खत्म होने का नाम नहीं ले रही। आलम यह है कि ये एजेंसियां और विभाग जन शिकायतें सुलझाने तक में गंभीर दिखाई नहीं पड़ते। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
निदान का विश्वास लिए अगर लोग इनके पास शिकायतें भेजते हैं तो अधिकारी उन्हें केवल फारवर्ड करके अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेते हैं। हैरत की बात यह है कि इस रवैये से वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) भी अछूता नहीं है।
पर्यावरण कार्यकर्ता अमित गुप्ता ने 28 सितंबर 2025 को सीएक्यूएम अध्यक्ष के एक नाम ईमेल से एक शिकायत भेजी। इस शिकायत में नोएडा सेक्टर- 76 में क्षतिग्रस्त फुटपाथ से बड़े पैमाने पर हो रहे धूल प्रदूषण का मुद्दा उठाया गया था।
तीन अक्टूबर 2025 को रिमाइंडर भी भेजा गया। लेकिन जब कोई जवाब नहीं मिला तो उन्होंने आरटीआई लगाकर जवाब मांगा। 31 अक्टूबर को सीएक्यूएम की तरफ से दिया गया जवाब निराश करने वाला है।
इस जवाब में कहा गया है, उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार कार्यवाही के लिए यह शिकायत उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के सदस्य सचिव, बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी, नोएडा प्राधिकरण के सीईओ और उत्तर प्रदेश सरकार के प्रधान मुख्य वन संरक्षक को फारवर्ड कर दी गई है। इसके अतिरिक्त सीएक्यूएम ने किसी तरह की जानकारी होने से इन्कार किया है। जबकि शिकायतकर्ता का कहना है कि समस्या आज भी बरकरार है।
यह केवल एक उदाहरण है। सच्चाई यह है कि सीएक्यूएम ही नहीं, सीपीसीबी भी जन शिकायतों के निराकरण को लेकर यही प्रक्रिया अपनाती है। दिल्ली एनसीआर में जिस किसी विभाग या एजेंसी से जुड़ी शिकायत होती है, उसको फारवर्ड करके अपना कर्तव्य पूर्ण कर ली जाती है। यही वजह है कि या तो शिकायतें लंबित श्रेणी में पड़ी रहती हैं या फिर लीपापोती करके दिखा दिया जाता है कि उनका निदान हो गया है।
जब इस संदर्भ में सीएक्यूएम से पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो एक अधिकारी ने बताया कि प्रदूषण से जुड़ी शिकायतों के समाधान को लेकर कोई लापरवाही नहीं बरती जाती। जिन एजेंसियों-विभागों को शिकायतें फारवर्ड की जाती हैं, उनकी ओर से उन पर संज्ञान भी लिया जाता है।
लापरवाही का एक और नमूना, नहीं भेजे जा रहे मोबाइल पर मैसेज
प्रदूषण का स्तर बढ़ने-घटने के अनुरूप इस समय दिल्ली एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के दो चरण लागू हैं। पहले चरण के 27 बिंदुओं में से 25 नंबर बिंदु में लिखा है कि जनता को जागरूक करने के लिए इंटरनेट मीडिया और लोगों के मोबाइल पर भी मैसेज भेजे जाएंगे। लोगों को प्रदूषण की अपडेट जानकारी देने के लिए एक मोबाइल एप का इस्तेमाल करने को भी कहा जाएगा।
साथ ही एप का इस्तेमाल लोगों को कंट्रोल रूम के नंबर बताना, प्रदूषण नियमों की अवहेलना करने वालों की रिपोर्ट करने, प्रदूषण के सोर्स को सरकार तक पहुंचाने के माध्यमों की जानकारी दी जाएगी। 2023 और 2024 में इस तरह के मैसेज किए भी गए थे।
लेकिन इस साल अभी तक ऐसा शुरू नहीं हुआ है। इसके लिए भी सीधे तौर पर सीएक्यूएम और एनसीआर में शामिल सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की ही लापरवाही उजागर होती है।
यह भी पढ़ें- दिल्ली का पहला TOD हाउसिंग प्रोजेक्ट मंजूर, DDA की बैठक में कई बड़ी विकास परियोजनाओं की सौगात
Pages:
[1]