Chikheang Publish time 7 day(s) ago

‍Bihar Election 2025 : नौकरी के वादे पर असमंजस में यूजर, चुनाव बाद कहीं ये ओटीपी ना बन जाए परेशानी

/file/upload/2025/11/1637148765504364544.webp



अक्षय पांडेय, पटना। नौकरी बनाम नौकरी। मोंथा चक्रवात बाद में उठा, बिहार में पहले नौकरी का तूफान आया। फुटकर नहीं, यहां थोक के भाव रोजगार। भाई साहब, घर में टाइप सी वाला चार्जर मिले या न मिले, कम से कम एक नियुक्ति पत्र जरूर मिलेगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

ऐसी तमाम घोषणाओं की वैधता कहीं 10 मिनट के ओटीपी की तरह समाप्त तो नहीं हो जाएगी? इंटरनेट मीडिया पर बहस छिड़ गई है। यूजर नेताओं की कापी-पेस्ट कविताओं से भी असमंजस में हैं।

कोई एक करोड़ तो कोई हर घर नौकरी की बात कर रहा है। फेसबुक पर बेरोजगार अस्मित कहते हैं, अब बिहार से बाहर नहीं जाना है।

सरकार किसी की भी आए, नौकरी तो मिलनी तय है। उनके पोस्ट पर रवीना की प्रतिक्रिया को खूब वाहवाही मिल रही है। वह लिखती हैं, सबसे अच्छा तो ये है कि डिग्री की जरूरत नहीं है।

बस बिहार का निवासी होना ही बहुत है। रोजगार के मुद्दे पर मनोज ने एक्स पर लिखा है, ये सारे वादे कहीं 10 मिनट के ओटीपी की तरह खत्म न हो जाएं।
शब्दों की गहराई में घुस गए नेताजी

सफेद कुर्ते वालों ने शब्दों की गहराई में घुस उलझन में डाल दिया है। रहीम दास का दोहा पढ़ मतदाता सिर खुजा रहे हैं, तो दिनकर की रचना देख पूछ रहे हैं कि नेताजी कहना क्या चाहते हैं। काव्यात्मक प्रसंग पढ़ भ्रम में आए मयंक ने एआइ से मदद मांग ली। पूछा, साथी कहना क्या चाहते हैं।

जवाब में मिला, रिश्ता टूटने से पहले संभलने का ज्ञान दिया जा रहा है। शम्स कहते हैं कि ये समस्या हर दल के साथ है। अकेले जीत भी नहीं सकते और ईमानदारी से सहयोगियों की मदद भी नहीं करनी।

इस चर्चा में विभूति कूद और कहा कि एकतरफा कुछ नहीं होता। रिश्तों के दागे में दोहराव लाएं, मजबूत हो जाएगा।
काव्यात्मक हो गया चुनाव

रुद्रांश चौरसिया कहते हैं कि ये चुनाव चल रहा है कि मुशायरा। विजय सिंह कहते हैं कि बिहार चुनाव काव्यात्मक हो गया है। विशाल ने कहा कि यहां कोई मुफ्त में 15 ग्राम देगा नहीं, आशीष तुम्हारा लेगा नहीं।

पालिटिकल लड़का नाम के एक अकाउंट ने कहा कि मैं समझ गया हूं। हर लाइन का मतलब है कि संबंधित साथी अधिक सीट की मांग कर रहा है।

कुंदन ने लिखा कि काहे सह रहे हो इतना सितम, पार्टी से करो सारे रिश्ते खतम। मंत्री पद छोड़ना नहीं है आसान, चुपचाप से पड़े रहो बंद जुबान।
Pages: [1]
View full version: ‍Bihar Election 2025 : नौकरी के वादे पर असमंजस में यूजर, चुनाव बाद कहीं ये ओटीपी ना बन जाए परेशानी