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व्यक्तिगत प्रयास से किसानों के जीवन में बदलाव लाएं अधिकारी, झारखंड सरकार की मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने दिए निर्देश

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झारखंड में कृषि विभाग के अधिकारी राज्य के 200 किसानों के जीवन में बदलाव लाने का प्रयास करेंगे



राज्य ब्यूरो,रांची । झारखंड में कृषि विभाग के अधिकारी राज्य के 200 किसानों के जीवन में बदलाव लाने का प्रयास करेंगे। पूरा काम धरातल पर होना चाहिए और इसका सत्यापन भी किया जा सकता है।

अधिकारियों के व्यक्तिगत प्रयास से किसानों के जीवन में आने बदलाव से संबंधित सूची भी तैयार की जाएगी। यह टास्क राज्य के कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने राज्य के अधिकारियों को दी है।

वह मंगलवार को बीएयू में आयोजित राज्य स्तरीय रबी कर्मशाला 2025-26 को संबोधित कर रहीं थी। इस मौके पर रबी फसल से संबंधित जानकारी को हर किसान तक पहुंचाने और अधिक पैदावार की दिशा में कदम बढ़ाने पर फोकस किया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कृषि वैज्ञानिकों ने बदलते मौसम के साथ कृषि के क्षेत्र में बदलाव और रबी फसल से हुए नुकसान की भरपाई की जानकारी दी। मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि हर साल इस तरह के कर्मशाला का आयोजन विभाग के स्तर पर किया जाता है।

इसका उद्देश्य किसानों को रबी फसल की सही जानकारी और नई तकनीक के जरिए फसल के पैदावार को बढ़ाने की बात शामिल होती है। उन्होंने कहा कि इस बार अतिवृष्टि से किसानों का नुकसान 25 से 30 प्रतिशत तक दिख रहा है जो बढ़ कर 40 प्रतिशत तक भी पहुंच सकता है। ऐसे में अधिकारियों को किसानों के प्रति संवेदनशीलता दिखानी होगी।

अधिकारियों के आपसी सामंजस्य से किसानों की परेशानियों को कम किया जा सकता है। बिरसा फसल बीमा से आच्छादित किसानों को मुआवजा राशि दिलाने से लेकर फसल बीमा का लाभ नहीं लेने वाले किसानों को आपदा प्रबंधन से मुआवजा दिलाने में अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण है।

फसल नुकसान की रिपोर्ट अंचल से जिला मुख्यालय तक जल्द से जल्द पहुंचे, इसके लिए अधिकारी तत्परता दिखाए। फसल बर्बाद होने की मार झेलने वाले किसानों के सामने अनगिनत सवाल है।

ऐसे में किसान परिवारों के लिए अधिकारियों को आगे बढ़ कर पहल करने की जरूरत है। राज्य में केसीसी के लाभुकों की संख्या बढ़ाने के लिए भी अधिकारियों को विशेष पहल करने की आवश्यकता है। कृषि सचिव अबू बक्कर सिद्दीख ने कहा कि रबी फसल की बात हो या खरीफ फसल की।

किसानों के लिए निश्चित कैलेंडर होना जरूरी है। इससे हर काम सही समय पर हो सकता है। कब क्या करना है ये पहले से तय होना चाहिए। कृषि को लेकर जो संसाधन उपलब्ध है उसका बेहतर इस्तेमाल होना चाहिए। मिट्टी जांच के साथ फसल का चयन बहुत जरूरी है।

किस जमीन पर कौन सी फसल हो सकती है इसकी जानकारी होने से किसानों को फायदा होगा। बीएयू के कुलपति डा एससी दुबे ने कहा कि इस बार धान की फसल को भारी बारिश की वजह से नुकसान हुआ है। मौसम की मार को समझने और किसानों को इस मुसीबत से निकालने का प्रयास करना होगा।

अतिवृष्टि का फायदा रबी फसल के माध्यम से उठाया जा सकता है। खेत में नमी का फायदा रबी फसल को होगा। इस मौके पर कृषि विभाग के द्वारा तैयार पुस्तक का विमोचन भी किया गया। राज्य स्तरीय कर्मशाला में निदेशक जीशान कमर, निबंधक शशि रंजन, निदेशक माधवी मिश्रा, विशेष सचिव प्रदीप हजारी, संजय शांडिल्य, एसके अग्रवाल के साथ किसान वैज्ञानिक, कृषि पदाधिकारी मौजूद रहे।
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