deltin55 Publish time 2025-9-27 15:23:00

जीएसटी 2.0: एफएमसीजी कंपनियों को दो महीने के भ ...

नयी दिल्ली, 24 सितंबर (भाषा) जीएसटी की कम दरें लागू होने के साथ रोजमर्रा के इस्तेमाल वाली वस्तुएं बनाने वाली कंपनियों को अपने उत्पादों के लिए कम कीमतें तय करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उन्हें दो महीने के भीतर कीमतों में पूर्ण समायोजन की उम्मीद है।
रोजमर्रा के इस्तेमाल वाली वस्तुएं बनाने वाली (एफएमसीजी) कंपनियों ने अपने उत्पाद के मूल्य कम से कम दो रुपये, पांच रुपये और 10 रुपये तक कम किए हैं।
अब पारले जी बिस्कुट का एक छोटा पैकेट जिसकी कीमत पहले पांच रुपये थी अब वह 4.5 रुपये का हो गया है। शैम्पू का पाउच जिसकी कीमत दो रुपये थी अब 1.75 रुपये का हो गया है।
उद्योग जगत से जुड़े लोगों एवं विशेषज्ञों के अनुसार, कंपनियों के पास ‘‘गैर-मानक’’ कीमतें अपनाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है क्योंकि उनके पास चीजों का वजन (ग्रामेज) तेजी से बढ़ाने के लिए पर्याप्त समय नहीं है, जिसके लिए कारखाने के ढांचे में बदलाव की आवश्यकता होती है।
अस्थायी उपाय के तौर पर उन्होंने सरकारी निर्देशों का पालन करने के लिए लोकप्रिय मूल्य पैक की अधिकतम खुदरा कीमत कम कर दी है।
माल एवं सेवा कर (जीएसटर) की दो स्तरीय पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत दरें 22 सितंबर से प्रभावी हो गई हैं।
पारले प्रोडक्ट्स के उपाध्यक्ष मयंक शाह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ हां, यह पूरी तरह से अस्थायी है। आम तौर पर जब भी आप किसी बदलाव या ऐसी किसी चीज की बात करते हैं, तो पैक के वजन में बदलाव करते हैं। इस तरह की चीजों में लगभग डेढ़ से दो महीने का समय लगता है। कंपनियां आमतौर पर डेढ़ से दो महीने का अतिरिक्त समय लेकर काम करती है।’’
वर्तमान में पारले जी बिस्कुट का एक पैकेट जिसकी कीमत पहले पांच रुपये थी, अब जीएसटी लाभ लागू होने के बाद 4.45 रुपये में बिक रहा है।
शाह ने कहा, ‘‘ आज, जब हम बात कर रहे हैं, मेरे अक्टूबर और नवंबर के रैपर छप चुके हैं। अब मेरे लिए बाहर जाकर वजन में कोई बदलाव करना और एमआरपी स्थिर रखना मुश्किल है। तो जाहिर है हम इसे गैर-मानक मूल्य बिंदुओं पर इन्हें बेच रहे हैं।’’
नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के अबनीश रॉय ने कहा कि ये एफएमसीजी कंपनियों द्वारा ‘‘अल्पकालिक उपाय’’ हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ आखिरकार कंपनियां अपने (सामान का) वजन बढ़ाएंगी और दो रुपये, पांच रुपये और 10 रुपये आदि के मूल्य पर वापस आ जाएंगी क्योंकि स्पष्ट रूप से 4.5 रुपये या 4.6 रुपये के मूल्य व्यावहारिक नहीं हैं।’’
डाबर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) मोहित मल्होत्रा ​​ने कहा कि उनकी कंपनी ने अपने पैक की कीमतों में समायोजन किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ डाबर में हमारा मानना ​​है कि सामर्थ्य कभी भी गुणवत्ता की कीमत पर नहीं आना चाहिए। इसीलिए हमने अपने खंड में कीमतों को सक्रिय रूप से समायोजित किया है। जीएसटी कटौती के अनुरूप हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि हर उपभोक्ता इसका लाभ उठा सके...।’’
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