Chikheang Publish time 2025-11-4 21:47:36

पूर्वी प्रचंड प्रहार...पाकिस्तान के बाद अब चीन सीमा पर जुट रहीं भारत की तीनों सेनाएं, जानें क्या है प्लान

Tri-Services Exercise Trishul: ऑपरेशन सिंदूर के बाद से भारत ने पाकिस्तान को सख्त चेतावनी देते हुए कहा था कि, पड़ोसी मुल्क किसी भी तरह की हिमाकत करता है तो उसे और भी घातक कदम का सामना करना पड़ेगा। वहीं फिलहाल देश की तीनों सेनाएं इंडियन आर्मी, नेवी और एयरफोर्स ज्‍वाइंट एक्‍सरसाइज ‘त्रिशूल’ किया। तीनों सेना के ज्‍वाइंट एक्‍सरसाइज से

पाकिस्‍तान खासकर आर्मी में खलबली मची हुई थी।



ज्‍वाइंट एक्‍सरसाइज ‘त्रिशूल’ के बाद अब सेना अपना ध्यान पूर्वी सीमा की ओर कर रही है। अरुणाचल प्रदेश के ऊंचे पहाड़ी इलाकों में 11 से 15 नवंबर तक ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ नाम का एक नया संयुक्त सैन्य अभ्यास होने जा रहा है। इसमें तीनों सेनाएं मिलकर हिस्सा लेंगी और कठिन पहाड़ी परिस्थितियों में क्षमता और तैयारी का प्रदर्शन करेंगी। यह अभ्यास दुनिया के सबसे संवेदनशील सैन्य इलाकों में से एक में किया जाएगा, जहां भारत की संयुक्त सैन्य तैयारी की क्षमता परखा जाएगा। यह वही क्षेत्र है जो चीन से लगी विवादित सीमा के पास आता है।



यह पांच दिवसीय संयुक्त सैन्य अभ्यास अरुणाचल प्रदेश के मेचुका क्षेत्र में किया जाएगा, जो LAC के पास एक अग्रिम इलाका है। CNN-News18 से बात करने वाले शीर्ष रक्षा अधिकारियों ने बताया कि इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य भारत की ‘थिएटर कमांड’ अवधारणा को परखना है। इस योजना का मकसद सेना, नौसेना और वायु सेना को एकजुट कर एक समन्वित युद्ध प्रणाली तैयार करना है, ताकि किसी भी स्थिति में तेजी और मजबूती से प्रतिक्रिया दी जा सके।


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सेना की स्पेशल फोर्सेज ले रही है हिस्सा



रक्षा PRO लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने CNN-News18 को बताया कि इस अभ्यास का मुख्य फोकस ऊंचाई वाले कठिन इलाकों में एक साथ ऑपरेशन करने की क्षमता को परखना है। इसमें स्पेशल फोर्सेज, ड्रोन (मानवरहित सिस्टम), सटीक हथियार और नेटवर्क-आधारित कमांड सेंटरों का संयुक्त उपयोग किया जाएगा। सीधे शब्दों में कहें तो ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ अभ्यास का मकसद एक बड़े युद्ध जैसी स्थिति को वास्तविक रूप में तैयार करना है। इसमें थल सेना, वायु सेना और नौसेना मिलकर ऊंचाई वाले इलाके में ऑपरेशन का अभ्यास करेंगी, ताकि चीन सीमा जैसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी भारत की संयुक्त सेना प्रभावी तरीके से कार्रवाई कर सके।



यह अभ्यास भारत की नई युद्ध रणनीति का हिस्सा है। यह कोई अकेली सैन्य ड्रिल नहीं, बल्कि पिछले कुछ वर्षों से चल रही संयुक्त अभ्यासों की श्रृंखला का अगला कदम है। इससे पहले ‘भाला प्रहार’ (2023) और ‘पूर्वी प्रहार’ (2024) जैसे अभ्यास हो चुके हैं। इन सभी का मकसद सेना, नौसेना और वायु सेना को एक साथ मिलाकर एक मजबूत और एकीकृत कमांड सिस्टम तैयार करना है, ताकि किसी भी स्थिति में देश तेजी और मजबूती से प्रतिक्रिया दे सके।



पड़ोसी देशों के भारत का सख्त मैसेज



यह अभ्यास अकेला नहीं है। इससे पहले भी ‘भाला प्रहार’ (2023) और ‘पूर्वी प्रहार’ (2024) जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यास किए जा चुके हैं। इन सभी अभ्यासों का उद्देश्य सेना, नौसेना और वायुसेना को एक साथ मिलाकर एक मजबूत और एकीकृत कमांड सिस्टम की दिशा में आगे बढ़ना है। यह अभ्यास कई स्तरों पर काम करने का अभ्यास है — ज़मीन, हवा और समुद्र को साथ जोड़ कर ऑपरेशन करना (मल्टी-डोमेन इंटीग्रेशन), और टेक-आधारित युद्ध प्रणालियों का इस्तेमाल, जैसे ड्रोन, AI से चलने वाली निगरानी और सैटेलाइट-सहायता वाली कम्युनिकेशन तकनीकें। साथ ही कठिन और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में जल्दी तैनाती के लिए नई रणनीतियाँ, तकनीकें और काम करने के तरीके (TTPs) आजमाए और सुधारे जा रहे हैं। रक्षा विश्लेषक इसे ‘त्रिशूल’ अभ्यास का पूर्वी समकक्ष मानते हैं और कहते हैं कि इससे साफ़ संकेत मिलता है कि भारत दोनों सीमाओं पर एक साथ होने वाली चुनौतियों के लिए तैयारी कर रहा है।



अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन लंबे समय से दावा करता है कि यह उसका ‘दक्षिण तिब्बत’ हिस्सा है, इसलिए यह क्षेत्र हमेशा से तनाव का केंद्र रहा है। भारत यहां सड़क, पुल और सैन्य ढांचे को मज़बूत कर रहा है, जिससे चीन नाराज़ है और वह भी LAC के दूसरी ओर अपनी तैनाती बढ़ा रहा है। CNN-News18 की रिपोर्ट के मुताबिक, मेचुका घाटी—जो सीमा से करीब 30 किलोमीटर दूर है—में ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ का आयोजन कर भारत यह दिखा रहा है कि वह इस कठिन इलाके में भी तेज़ी से सेना तैनात कर सकता है और बड़े स्तर पर ऑपरेशन चला सकता है। यह अभ्यास भारत की लॉजिस्टिक क्षमता और ऑपरेशन करने की ताकत का स्पष्ट संकेत देता है।



नेवी के मौजूदगी है खास



इस अभ्यास में भारतीय नौसेना की मौजूदगी भी खास है। नौसेना हवाई निगरानी और लॉजिस्टिक सपोर्ट दे रही है, जिससे साफ पता चलता है कि भारत अब मल्टी-डोमेन यानी जमीन, हवा और समुद्र—तीनों मोर्चों पर एक साथ तैयारी कर रहा है। यह इस बात का संकेत है कि अब समुद्री बल भी ऊँचाई वाले इलाकों में होने वाले सैन्य ऑपरेशनों में अहम भूमिका निभाएंगे।
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