deltin33 Publish time 2025-11-4 21:07:01

कोर्ट ने डीडीए को लगाई फटकार, 1 साल में भी आदेश का पालन नहीं होने पर SDM को किया तलब

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मुहम्मद रईस, दक्षिणी दिल्ली। दक्षिणी दिल्ली में लगभग 20 हजार की आबादी वाला असोला गांव। शहरी क्षेत्र में समाहित हुए चार बरस बीत भी गए। न ग्राम सभा वाली सुविधाएं मिल रहीं और न ही शहरी वाली मिल पा रहीं। मजबूरन गांव के लोगों को कोर्ट का रुख करना पड़ा। छोटे-मोटे आयोजन हों या शादी-विवाह या फिर धार्मिक कार्यक्रम गांव में स्थान ही नहीं है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

वर्ष 1957 का बना हुआ बारात घर खंडहर में बदल चुका है। उसी के स्थान पर अब सामुदायिक भवन या बारातघर बनाने की मांग गांव के लोग कर रहे हैं। कोर्ट ने इसके लिए पिछले वर्ष 25 अक्टूबर 2024 को ही डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) को सारे गतिरोध खत्म करते हुए आठ सप्ताह में काम शुरू करने का आदेश दिया था। पर एक वर्ष बाद भी स्थिति जस की तस है।

विगत 30 अक्टूबर की सुनवाई में कोर्ट ने डीडीए को फटकार लगाते हुए अगली सुनवाई में प्रगति रिपोर्ट के साथ एसडीएम साकेत को तलब किया है। कोर्ट में अगली सुनवाई 19 जनवरी 2026 को होनी है।

वर्ष 2021 से पहले तक असोला गांव की गिनती ग्रामीण इलाकों में होती थी। फिर इसका शहरीकरण किया गया। गांव में छोटे किसान, मजदूर, भूमिहीन लोगों की बड़ी आबादी निवास करती है। बावजूद इसके क्षेत्र में कोई सामुदायिक भवन नहीं। धार्मिक या सामाजिक आयोजन के लिए महंगे फार्म हाउस बुक करने पड़ते हैं।

वहीं, लगभग 68 वर्ष पुराना जो सामुदायिक केंद्र ग्राम सभा के खसरा नंबर-43 (शामलात थोक भूमि) पर था, वह अब खंडहर है। शहरीकरण के बाद ग्राम सभा का यह खसरा नंबर अब डीडीए। इसी के स्थान पर स्थानीय निवासी अब नए सामुदायिक भवन की मांग कर रहे हैं।

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याचिकाकर्ता ऋषिपाल महाशय के मुताबिक, कोर्ट से आदेश मिलने के बाद भी कोई काम शुरू नहीं किया गया। एसडीएम साकेत की ओर से इसे लेकर डीडीए से कई बार पत्राचार भी हुए, पर कोई सकारात्मक पहल अब तक नहीं हो सकी। मामले में बीते एक वर्ष से हो रही घोर लापरवाही को लेकर कोर्ट ने भी हैरानी जताई है। अगली सुनवाई में एसडीएम साकेत को अब तक हुए कार्यों का लेखा-जोखा लेकर प्रस्तुत होने का निर्देश दिया है।
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