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Exclusive Interview: कट्टा और गोली की भाषा हमारी नहीं, भाजपा की पहचान है : पवन खेड़ा

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अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मीडिया एवं प्रचार विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा



जागरण संवाददाता, पटना। विधानसभा चुनाव के बीच कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के दौरों से लेकर मीडिया नैरेटिव तक, हर मोर्चे पर रणनीति को मजबूत करने और राष्ट्रीय नेताओं के कार्यक्रमों के समन्वय का जिम्मा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मीडिया एवं प्रचार विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा के पास है। खेड़ा लगातार बिहार में डटे हुए हैं। चुनावी व्यस्तताओं के बीच पवन खेड़ा से जागरण के विशेष संवाददाता सुनील राज ने राजनीति से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर बात की। प्रस्तुत है बातचीत के अंश... विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सवाल: कांग्रेस इस चुनाव क्या राजद की सहयोगी मात्र है या अपनी अलग पहचान के भी प्रयास है?

जवाब: कांग्रेस की ऐतिहासिक और राष्ट्रीय पहचान है और रहेगी। अलग से पहचान बनाने की आवश्यकता मुझे नहीं लगता है। 140 साल पुरानी पार्टी है कांग्रेस। लेकिन, यह चुनाव ऐतिहासिक है और पार्टी अपनी भूमिका भी समझती है। इसमें कोई बड़ा भाई छोटा भाई बनने की आवश्यकता नहीं।

हम मिलकर महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। बिहार को गुंडा राज से निजात दिलाने के लिए। गठबंधन में जितने भी साथी हैं। सबने कुछ न कुछ समझौता व त्याग किया है।

सवाल: महागठबंधन या बिहार में कांग्रेस की भूमिका हमेशा कमजोर कड़ी के रूप में देखी जाती है। ऐसा क्यों?

जवाब: मुझे लगता है यह आलोचना खासतौर से भाजपा की तरफ से ज्यादा आती है। क्योंकि उन्हें परेशानी है हमारे गठबंधन को देखकर हमारे साथी राजद को देखकर। मैं कह सकता हूं कि राजद और उसके नेताओं ने कभी भाजपा के साथ समझौता नहीं किया। रही कांग्रेस की बात तो कांग्रेस ही एक राष्ट्रीय पार्टी है जो बिना डरे भाजपा का मुकाबला कर सकती है। क्षेत्रीय दलों में राजद भी उसी श्रेणी में आता है। इसीलिए भाजपा ऐसी बातें कहती है।

सवाल: चुनाव शुरू होने के पहले टिकटों को लेकर पार्टी में बहुत विवाद हुआ, क्या वजह रही?

जवाब: मुझे लगता है हमारी खासियत है हम लोकतंत्र में भरोसा करते हैं। इसलिए हमारी बातें बाहर आती हैं। एक भाजपा है जिसकी संस्कृति कट्टे और कनपटी वाली है उनकी बातें बाहर नहीं आती। कांग्रेस के टिकट के लिए एक से अधिक उम्मीदवार के दावे होते हैं। सबको संतुष्ट करना संभव नहीं होता है।

सवाल: इस बार जातिवाद के साथ विकास का मुद्दा भी। आप किसके साथ हैं?

जवाब: हर राज्य की एक परिस्थिति है। उसे ध्यान में रखते हुए पहली प्राथमिकता है कि राज्य में हित में क्या है इस पर काम हो। समाज से उत्पन्न पार्टियां होती हैं। समाज तो पार्टियों से उत्पन्न नहीं होता। तो समाज की जो हकीकत है जाति उनमें एक है। चुनाव जीतने के बाद जाति की बात नहीं होती। चुनाव के बाद बिना किसी भेदभाव के विकास ये हमारी खूबी रही है और मैं दावे के साथ कह सकता हूं यही खूबी महागठबंधन की भी रहेगी।

सवाल: क्या वजह है कि भाजपा बेहद आक्रामक है?

जवाब: बीते 11 वर्षो में जो परिपाटी बनी है हमारे राजनीतिक संवाद की वह बेहद नकारात्मक रही है। गाली-गलौच की राजनीति, संवाद देश स्वीकार करेगा। पीएम या योगी आदित्यनाथ की भाषा ही देख लें। गोली, कट्टा, अप्पू-पप्पू न जाने क्या-क्या बोल रहे हैं। अटल जी भी थे। अटल जी कभी बदजुबानी नहीं करते थे उनसे सीखिए। हम अपनी भाषा के स्तर पर इतना नीचे नहीं गिर सकते हैं। भाजपा को वैसी आक्रमकता मुबारक।

सवाल: प्रियंका गांधी वाड्रा की चुनाव में देर से इंट्री क्यों?

जवाब: हर काम रणनीति के तहत होता है। पहले काफी पर्व थे। उस दौरान राजनीतिक काम करना संजीदगी का उदाहरण नहीं होता। अब प्रियंका गांधी- राहुल गांधी से लेकर हमारे सभी नेता सक्रिय हैं और तेजी से काम हो रहा है।

सवाल: इस चुनाव अपेक्षाकृत कम सीटें मिली क्या संतुष्ट हैं आप?

जवाब: चुनाव हमारा स्ट्राइक रेट बेहतर होगा। भारत जोड़ो यात्रा, वोटर अधिकार यात्रा, लोकसभा चुनाव में संविधान की जीत हुई। हम अपने प्रदर्शन से संतुष्ट हैं और उम्मीद है इस बार और बेहतर होगा। सीटों से फर्क नहीं पड़ेगा।

सवाल: इस बार अनके घोषणाएं हैं। उन्हें कैसे पूरा करेंगे। क्या ब्लूप्रिंट है?

जवाब: एक बात बताइये 25 लाख के बीमे की बात कही है तो क्या राजस्थान में हमने पूरा करके नहीं दिखाया है। बाकी राज्यों में भी कर रहे हैं। नौकरियों की बात करते हैं तो क्या तेजस्वी यादव ने अपने अल्प समय में करके नहीं दिखाया। नीयत है। अगर आप एक रुपये में एक हजार एकड़ जमीन अपने दोस्तों को नहीं देंगे तो पैसों की भी कोई कमी नहीं होगी। नौकरी से लेकर महिलाओं से किए हर वादे पूरे होंगे। हमने जो वादा किया वह पूरा किया है। l यदि जनता का साथ नहीं मिला तो क्या नए विकल्पों पर भी विचार होगा? - इस बार सेवा का मौका हमें मिलेगा। इसमें हमें शक की कई गुंजाइश नहीं।

सवाल: इस चुनाव बड़ी संख्या में युवा वोटर शामिल हुए हैं? क्या उम्मीदें हैं ?

जवाब: पिछले 11 सालों में जिस वर्ग को मोदी सरकार या 20 साल में नीतीश सरकार के शासन नुकसान पहुंचा है। बेरोजगारी, पेपर लीक अनेक मुद्दे हैं जो पटना की सड़कों पर दिखते भी हैं तो जाहिर तौर से उन्हें राहुल गांधी से उम्मीद हैं वे तेजस्वी यादव की ओर आकर्षित हो रहे। महागठबंधन के प्रति उन्होंने बहुत विश्वास जताया है।
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