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बिहार में खाद की कालाबाजारी जारी, दुकानदार किसानों से वसूल रहे मनमाना दाम

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छौड़ाही प्रखंड में उर्वरक वितरण को लेकर निगरानी समिति में बहस छिड़ी है।



जागरण संवाददाता, छौड़ाही (बेगूसराय)। छौड़ाही प्रखंड के प्रखंड उर्वरक निगरानी समिति समूह में उर्वरक वितरण और बिक्री को लेकर इन दिनों तीखी बहस छिड़ी हुई है। इस समूह में रासायनिक उर्वरक विक्रेता, अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार शामिल हैं। इस समूह में विक्रेता अपने उर्वरक भंडार का दैनिक लेखा-जोखा साझा करते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सोमवार को प्रखंड के उर्वरक निरीक्षक मनोज कुमार गुप्ता ने जिला कृषि पदाधिकारी, बेगूसराय के कार्यालय आदेश संख्या 72/2025, दिनांक 31/10/2025 की जानकारी साझा की। इस आदेश में रबी मौसम में किसानों की बढ़ती मांग को देखते हुए उर्वरक की कालाबाजारी रोकने और निर्धारित मूल्य पर बिक्री सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्हें अपने क्षेत्र में उर्वरक प्रतिष्ठानों के भंडारण का निरीक्षण करने और विभागीय ऐप पर रिपोर्ट अपलोड करने का भी निर्देश दिया गया है।

निरीक्षक ने सभी उर्वरक विक्रेताओं से प्रतिदिन सुबह 9 बजे तक अपनी बिक्री रिपोर्ट समूह के साथ साझा करने की अपील की थी, लेकिन कुछ ही विक्रेताओं ने ऐसा किया। इस समूह में जिला कृषि पदाधिकारी भी शामिल हैं। उर्वरक निगरानी समिति के सदस्य संजीव कुमार यादव ने बताया कि छौड़ाही प्रखंड की किसी भी पंचायत में निर्धारित मूल्य पर उर्वरक उपलब्ध नहीं है।

बीस सूत्री कार्यान्वयन समिति के सदस्य धर्मेंद्र कुमार सिंह ने ग्रुप में लिखा कि सभी पंचायतवार किसान सलाहकार अपने क्षेत्र में सरकारी दर पर उर्वरक उपलब्ध है या नहीं, इसकी रिपोर्ट दें, लेकिन अभी तक किसी भी किसान सलाहकार ने कोई जवाब नहीं दिया है। किसानों का कहना है कि कई पंचायतों में सलाहकार स्थानीय विक्रेताओं के दबाव में हैं, जिससे वास्तविक स्थिति अस्पष्ट हो रही है।

एकम्बा पंचायत के किसान रबी सिंह, केबली यादव और मणिभूषण सिंह ने बताया कि डीएसपी का सरकारी मूल्य ₹1,350 और यूरिया का ₹266 निर्धारित है। जबकि डीएपी ₹1,600 से कम में उपलब्ध नहीं है। सरकारी मूल्य पर ज़ोर देने के बावजूद, उर्वरक विक्रेता ₹2,000 और एक रतालू ले रहे हैं।

इसलिए, वे अभी तक अपनी फसल नहीं उगा पाए हैं। किसानों ने बताया कि जब उन्होंने पंचायत के कृषि समन्वयक विवेक कुमार से अधिक मूल्य पर खाद बेचे जाने की शिकायत की तो उन्होंने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। अगर यही स्थिति रही तो रबी फसल की बुआई प्रभावित होगी।

उन्होंने जिला कृषि पदाधिकारी से जांच कर दोषी विक्रेताओं व संबंधित पदाधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है। इससे स्पष्ट है कि जब निगरानी समिति में शामिल विक्रेता रिपोर्ट देने से बच रहे हैं तो यह स्पष्ट संकेत है कि कहीं न कहीं कोई अनियमितता जरूर है। अब सबकी निगाहें कृषि विभाग पर टिकी हैं कि क्या यह उर्वरक निगरानी सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहेगी या जमीनी स्तर पर कार्रवाई भी होगी।

इस संबंध में उर्वरक निरीक्षक मनोज कुमार गुप्ता का कहना है कि उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। सभी उर्वरक विक्रेताओं को निर्देश दिया गया है कि अधिक मूल्य वसूलने व समय पर रिपोर्ट नहीं देने पर लाइसेंस निलंबित करने समेत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। किसान बेझिझक उन्हें सूचना दें।
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