हिमाचल में प्रधानाचार्य पदोन्नति प्रक्रिया में सरकार ने किया बड़ा बदलाव, अब लोक सेवा आयोग के माध्यम से नहीं होगी डीपीसी
/file/upload/2025/11/7732828871249626618.webpहिमाचल प्रदेश सरकार प्रधानाचार्य पदोन्नति प्रक्रिया में बदलाव करने जा रही है।प्रतीकात्मक फोटो
अनिल ठाकुर, शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार स्कूल प्रधानाचार्य पद के लिए पदोन्नति की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने जा रही है। राज्य लोक सेवा आयोग के बजाय विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) खुद ही करने की तैयारी है। इसके लिए सचिव शिक्षा की अध्यक्षता में कमेटी गठित की जाएगी। इस कमेटी में निदेशक शिक्षा सहित एक सदस्य सचिव होगा, जो उप सचिव स्तर का हो सकता है। इसके लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कैबिनेट में हुई विस्तृत चर्चा
सूत्रों के अनुसार 25 अक्टूबर को आयोजित राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर विस्तृत चर्चा की गई थी। कैबिनेट ने कार्मिक विभाग को निर्देश दिए थे कि वह इस पर अपनी राय दें। इसमें पूछा गया था कि क्या डीपीसी के लिए यह प्रक्रिया उचित रहेगी या कोई विवाद तो नहीं होगा।
दो साल से प्रक्रिया लंबित, 805 पद रिक्त
इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि दो सालों से पदोन्नति की प्रक्रिया लंबित पड़ी हुई है। 805 के करीब पद प्रधानाचार्य के खाली है। 805 पदों के लिए पैनल तैयार करना व हर दस्तावेजों की जांच करने की प्रक्रिया लंबी चौड़ी है। इस में जितनी देरी होगी उतना मामला और पेचीदा होता जाएगा, इसलिए एक ही बार में सारे पदों को भर दिया जाएगा।
27 मई 2023 के बाद नहीं हुई है पदोन्नति
पिछले 2 सालों से प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति नहीं हुई है। 27 मई 2023 को विभाग ने मुख्य अध्यापक व प्रवक्ताओं को पदोन्नत कर प्रधानाचार्य बनाया था। कुछ शिक्षकों को उसी साल दिसंबर महीने में पदोन्नत कर प्रधानाचार्य के पद पर प्लेसमेंट दी थी। राज्य के 805 स्कूल ऐसे हैं जिनमें प्रधानाचार्य का पद खाली पड़ा हुआ है। वरिष्ठ शिक्षक को प्रधानाचार्य को अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है। पदोन्नति में देरी का सबसे बड़ा नुकसान शिक्षकों को हो रहा है। कई शिक्षक पदोन्नति के पात्र हैं लेकिन पदोन्नति न होने से वह सेवानिवृत हो रहे हैं।
अब प्लेसमेंट नहीं, नियमित ही होगी पदोन्नति
शिक्षा विभाग में वर्ष 1998 से 2023 तक प्रधानाचार्य को नियमित नियुक्ति नहीं दी गई। केवल प्लेसमेंट या अस्थायी तौर पर उन्हें प्रधानाचार्य बनाया गया। कुछ साल बाद इन्हें नियमित स्केल दिया गया। कोर्ट में कानूनी मामलों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई। कोर्ट ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए कि वह प्लेसमेंट आधार पर की पदोन्नति को नियमित कर सारे लाभ इन्हें दें जिसके वह पात्र है।
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शिक्षा विभाग ने निर्णय लिया है कि अब भविष्य में जो भी पदोन्नति प्रधानाचार्य के पद पर होगी वह स्थायी होगी। राज्य सरकार ने स्कूलों में कॉम्प्लेक्स प्रणाली शुरू की है। वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल के प्रधानाचार्य को इसके आसपास के 8 से 10 स्कूलों का प्रमुख बना दिया गया है। स्कूलों में स्थायी प्रधानाचार्य न होने से दिक्कत पेश आ रही है।
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आयोग के बजाए सचिव के स्तर पर गठित कमेटी की अध्यक्षता में होगी डीपीसी
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