LHC0088 Publish time Yesterday 06:05

अधिनियम में संशोधन से उपभोक्ताओं पर बढ़ेगा आर्थिक बोझ, उपभोक्ता परिषद ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को भेजी आपत्तियां

/file/upload/2025/11/2879547628472355458.webp



राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विद्युत अधिनियम-2003 में प्रस्तावित संशोधनों के खिलाफ अपनी आपत्तियां केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को भेजी है। कहा है कि अधिनियम में संशोधन का मसौदा निजी घरानों को लाभ पहुंचाने वाला है। इससे आम विद्युत उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि प्रस्तावित संशोधन निजीकरण का मसौदा लगता है। वर्मा ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5 ) को और मजबूत करते हुए स्मार्ट मीटर लगाने के लिए उपभोक्ताओं के विकल्प को और वैधानिक बनाने की मांग की है।

कहा है कि उपभोक्ताओं को पोस्टपेड व प्रीपेड स्मार्ट मीटर चुनने के अधिकार का स्पष्ट प्रविधान अधिनियम में किया जाए। प्रस्तावित बिल, निजी कंपनियों को सरकारी वितरण नेटवर्क के माध्यम से बिजली आपूर्ति करने की अनुमति देता है। इससे सरकारी वितरण कंपनियां कमजोर होंगी और उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ आएगा।

उन्होंने कहा है कि संशोधन पर निर्णय होने तक राज्यों में बिजली कंपनियों के निजीकरण को रोका जाए। निजी कंपनियों के प्रवेश से पारदर्शिता और जवाबदेही कमजोर होगी। घरेलू, कृषि और कम आय वाले उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ेगा।

उद्योगों को सस्ती बिजली देने से आम उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। सुझाव दिया कि लागत आधारित टैरिफ लागू करने से पहले सामाजिक प्रभाव का आंकलन किया जाए। गरीब और ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए किफायती बिजली देने की नीति जारी रखी जाए।
Pages: [1]
View full version: अधिनियम में संशोधन से उपभोक्ताओं पर बढ़ेगा आर्थिक बोझ, उपभोक्ता परिषद ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को भेजी आपत्तियां