बिहार चुनाव में जाति या पार्टी किस पर डलेगा वोट? सर्वे में वोटर बोले- इस बार ‘दिल नहीं, दल’ देखेंगे
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के लिए केवल तीन दिन बचे हैं और भारत के बड़े नेता राज्य में मतदाताओं तक पहुंचने के लिए आ रहे हैं। इस चुनाव में कई फैक्टर प्रभाव डाल रहे हैं, जैसे- सत्ता विरोधी लहर, जाति, नौकरी, महिलाएं, किसान, बुनियादी ढांचा आदि।वैसे तो भारतीय राजनीति में \“जाति\“ एक निर्णायक कारक रही है, लेकिन पार्टी यानी दल भी बिहार की चुनावी राजनीति में मुख्य भूमिका निभा रही है। इस बार, 51% लोग ने कहा कि वे पसंदीदा पार्टी के लिए वोट देंगे, भले ही दूसरी पार्टी उनके जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतारे। यह नतीजे Votes Vibe की ओर से किए गए सर्वे में सामने आए हैं।
सर्वे में क्या बोले लोग?
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सर्वे में पता चला कि 21% उत्तरदाताओं ने कहा कि वे पार्टी की परवाह किए बिना अपनी जाति के उम्मीदवार को वोट देंगे, जबकि 6% ने कहा कि वे पार्टी को वोट नहीं देंगे, अगर वह उनके जाति के उम्मीदवार को टिकट नहीं देती।
सर्वे के लिए सैंपल साइज 10,000 था और राज्य भर में रैंडम डिजिट डायलिंग (RDD) की गई।
राज्य चुनाव में मतदान के पीछे के कारण के सवाल पर, लगभग 26% ने कहा कि वे मुख्यमंत्री चुनने के लिए वोट देंगे, 18% ने कहा कि वे सरकार चुनने के लिए वोट करेंगे, जबकि 15.2% अपने विधायक को चुनने के लिए वोट करेंगे। 33.7% ने तीनों वजहों को वोट देने का कारण बताया।
तेजस्वी का हर घर सरकारी नौकरी का वादा कितना कारगर?
चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन (MGB) के बीच कड़ा मुकाबला देखा जा रहा है। RJD नेता और MGB के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने हर घर को सरकारी नौकरी देने का वादा किया है, जिससे राज्य में बहस शुरू हो गई है।
लेकिन 48% लोगों का मानना है कि यह सिर्फ चुनावी नारा है, जबकि 38% कहते हैं कि इससे RJD को चुनावी मदद मिलेगी।
यह वादा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ₹10,000 महिला रोजगार योजना नकद लाभ योजना का मुकाबला करने के रूप में देखा जा रहा है। सर्वे में पता चला कि लगभग 51% उत्तरदाताओं ने कहा कि यह मुख्यमंत्री की नकद लाभ योजना को इस चुनाव में निरस्त कर देगा।
लालू या नीतीश किसका कार्यकाल बेहतर?
लेकिन मुख्यमंत्री के कार्यकाल के संदर्भ में, लगभग 57% लोग मानते हैं कि नीतीश का 20 साल का कार्यकाल पूर्व मुख्यमंत्री और RJD नेता लालू प्रसाद और राबड़ी देवी से बेहतर था।
इस चुनाव में तीसरे प्रतिस्पर्धी राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी है। कम से कम 35% लोग पार्टी के चुनाव चिन्ह स्कूल बैग को पहचानते हैं। यह देखना होगा कि पार्टी राज्य में अपने चुनावी डेब्यू में कितनी सफलता हासिल कर पाएगी।
राज्य में मतदान 6 और 11 नवंबर को होगा। 243 सदस्यीय राज्य विधानसभा का परिणाम 14 नवंबर को घोषित किया जाएगा।
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