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एक पार्टनर चाहिए था मैच जिताने के लिए..., फाइनल में अकेले लड़ीं Laura Wolvaardt, साथ मिलता तो बदल सकती थी तस्वीर

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Laura Wolvaardt ने फाइनल में जड़ा शतक।



उमेश कु्मार, नई दिल्ली। 2 नवंबर, 2025 की मध्यरात्रि को जब टीम इंडिया जश्न में डूबी हुई थी। तो होटल के अपने कमरे में बैठी साउथ अफ्रीकी कप्तान लौरा वोल्वार्ड्ट यही सोच रही होंगी कि अगर एक या दो साथी अच्छी पारी खेल जाते तो फाइनल की तस्वीर कुछ और होती। खैर ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने अकेले दम पर लड़ाई लड़ी और टीम को जीत दिलाने के लिए 41.1 ओवर तक मैदान पर डटी रहीं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

साउथ अफ्रीका कप्तान लौरा वोल्वार्ड्ट का वर्ल्ड कप शानदार रहा। वह टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वालीं पहली बल्लेबाज रहीं। लौरा ने 9 मैच में कुल 571 रन बनाए। इस दौरान स्ट्राइक रेट 98.78 और औसत 71.37 की रही। इस लाजवाब बल्लेबाज ने दो शतक और तीन अर्धशतक जड़े। साथ ही लौरा के बल्ले से 73 चौके और 7 सिक्स निकले। मगर इस प्रदर्शन का जश्न वह नहीं मना सकीं। /file/upload/2025/11/6801156570170107308.jpeg

महिला वर्ल्ड कप में लौरा का प्रदर्शन।
भारत ने पीछे छोड़ा


मैच के बाद लौरा वोल्वार्ड्ट ने कहा, आज भारत ने हमें पूरी तरह पछाड़ दिया। हारना निराशाजनक है, लेकिन हम इससे जरूर सीखेंगे और, और मजबूत बनकर लौटेंगे। हमने उन दो खराब मैचों को पीछे छोड़ने में बेहतरीन काम किया। हम या तो बहुत अच्छा खेले या बहुत बुरा, लेकिन शुक्र है कि ज्यादा बार बहुत अच्छा खेले। कई खिलाड़ियों के लिए यह टूर्नामेंट शानदार रहा और मुझे गर्व है जिस तरह टीम ने मजबूती और जज्बा दिखाया।

छलक पड़ा हार का दर्द

लौरा जब ये बयान दे रहीं थी तो उनकी आंखों में हार का दर्द साफ झलक रहा था। वह निराश थीं। उनके मन में सवाल चल रहा होगा कि काश कोई एक मेरे साथ थोड़ा और जज्बा दिखा देता तो साउथ अफ्रीका टीम इतिहास रचने का जश्न मना रही होती। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। जैसा कि लौरा ने कहा कि भारत ने उन्हें पूरी तरह पछाड़ दिया। मैच में ठीक वैसा ही हुआ। पहले बल्लेबाजी करते हुए 298 रन का विशाल स्कोर बनाया।
एक छोर पर थमे रखी उम्मीद

इसके बाद अमनजोत की बेहतरीन फील्डिंग ने भारत को पहली सफलता दिलाई। फिर चला शेफाली और दीप्ति की स्पिन का जादू। साउथ अफ्रीका बड़ी साझेदारी करने में नाकाम रहा। एक छोर से विकेट गिर रहे तो दूसरी छोर पर खड़ी लौरा एक के बाद एक साथियों खिलाड़ियों को पवेलियन लौटते देख रही थीं। उन्होंने हार नहीं मनीं, वह लड़ती रहीं। पहले अर्धशतक फिर शतक पूरा किया। वह महिला वर्ल्ड कप सेमीफाइनल और फाइनल में शतक जड़ने वाली दुनिया की पहली महिला कप्तान बनीं।
अंत में टूटी हिम्मत!

अंत में जब दबाव इतना ज्यादा हो गया कि तो उसे हटाने के लिए उन्होंने बड़ा शॉट खेला, लेकिन वह बाउंड्री लाइन पर खड़ी अमनजोत कौर को नहीं छका सकीं। अमनजोत ने लड़खड़ाते हुए उनका कैच लपका। एक समय लग रहा था कि उन्हें भाग्य का साथ मिलेगा, लेकिन अमनजोत ने गिरते हुए भी कैच नहीं छोड़ा। लौरा का विकेट गिरते ही साउथ अफ्रीका की उम्मीदें टूट गई। लौरा ने 101 रन की पारी खेली। अन्य बल्लेबाजों में डर्कसन (35), ताजमिन बिट्स (23) और सुने लुस (25) ने छोटी-छोटी पारियां खेलीं। मारिजान काप का भी बल्ला खामोश रहा।
बस एक साथी की थी जरूरत


लौरा ने मैच के बाद कहा, मारिजान काप कई वर्ल्ड कप से हमारे लिए अद्भुत प्रदर्शन करती आई है। बहुत दुख है कि यह उसका आखिरी वर्ल्ड कप था। पूरी टीम उसे जीत का तोहफा देना चाहती थी। वह एक नहीं, दो खिलाड़ियों के बराबर है और हमें खुशी है कि वह हमारी टीम में है।


टीम की सबसे अनुभवी मारिजान काप का भी साथ लौरा वोल्वार्ड्ट को नहीं मिला। वह मात्र चार रन का योगदान दे सकीं। इनमें से कोई एक भी लौरा के साथ शतकीय साझेदारी निभा जाता तो महिला वर्ल्ड कप के फाइनल की कहानी कुछ और होती।

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